सीबीआई को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। 26 वर्षों से फरार आर्थिक अपराध की आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिकी अधिकारियों की मदद से हिरासत में लेकर भारत लाया जा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम बुधवार रात तक उसे अमेरिका से भारत लेकर पहुंचेगी। इसे भारत की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की अहम उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, मोनिका कपूर को न्यूयॉर्क में यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट) द्वारा भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को सौंपने की अनुमति दी गई। सीबीआई की टीम अब एक अमेरिकी विमान सेवा के माध्यम से मोनिका को भारत ला रही है।
अमेरिका में खारिज हुआ यातना का दावा
मोनिका कपूर ने प्रत्यर्पण के खिलाफ कोर्ट में यह तर्क दिया था कि भारत भेजे जाने पर उनके साथ प्रताड़ना की जा सकती है, जो संयुक्त राष्ट्र की यातना निरोधक संधि का उल्लंघन होगा। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस दावे को खारिज करते हुए भारत को प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नहीं करती।
1999 में भागी थी अमेरिका, राजस्व को करोड़ों का नुकसान
मोनिका कपूर पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 1999 में अपने दो भाइयों के साथ मिलकर आभूषण कारोबार के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और इनका उपयोग शुल्क-मुक्त कच्चा माल आयात करने के लिए सरकारी लाइसेंस प्राप्त करने में किया। इस कथित धोखाधड़ी से भारत सरकार को करीब 6.79 लाख अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 5.7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
भारत ने अक्टूबर 2010 में मोनिका के प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध अमेरिका से किया था। यह अनुरोध भारत और अमेरिका के बीच बनी प्रत्यर्पण संधि के अंतर्गत किया गया था, जो अब 2024 में जाकर पूरी प्रक्रिया के बाद सफल हुआ।