पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हालात कमोबेश श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे ही हो गए हैं। सड़कों पर या तो पुलिस है या फिर फौज, वहीं जहां यह दोनों नहीं है वहां पाकिस्तान की जनता काबिज है। बीती रात पाकिस्तान के सभी बड़े शहरों में रात भर आगजनी बवाल और हंगामा होता रहा। पाकिस्तान के घरों में सुबह लोगों को मिलने वाली जरूरत की चीजें तक नहीं मिलीं। हालात ऐसे हैं कि घरों में दूध और सब्जी तक नहीं पहुंच पाई। लोगों में डर अब इस बात का बन गया है कि ऐसे हालातों में अगर जरूरत की सभी चीजें खत्म हो जाएं तो आगे क्या होगा। पाकिस्तान के एटीएम में अब फिलहाल रुपयों की सप्लाई नहीं हो पा रही है। मंगलवार दोपहर बाद से पाकिस्तान में मचे बवाल के बाद पाकिस्तान के हालातों पर बात करने के लिए अमर उजाला डॉट कॉम ने पाकिस्तान के कुछ लोगों से बात कर उनके मुल्क के बदहाल हालातों के बारे में जानकारी हासिल की।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का घर लाहौर के जमन पार्क इलाके में है। इसी जमन पार्क इलाके से कुछ दूरी पर अल्लामा इकबाल टाउन है। अमर उजाला डॉट कॉम ने अल्लामा इकबाल टाउन के रहने वाले इदरीश कादरी से फोन पर बातचीत की। कादरी कहते हैं कि हालात तो सोमवार की रात से ही लाहौर के बिगड़ने लगे थे। लेकिन मंगलवार की देर शाम से जो हालात बिगड़े व बुधवार तक बेकाबू हो गए। अल्लामा इलाके की एक दुकान पर काम करने वाले इदरीश कहते हैं कि बिगड़े हालात के चलते उन्हें अंदाजा था कि बुधवार की सुबह लाहौर की सड़कों पर निकलने नहीं दिया जाएगा। क्योंकि लाहौर की सड़कों पर पैरामिलिट्री फोर्सेस से लेकर पुलिस और सेना की टुकड़ियां ही नजर आ रही थीं। यही वजह थी कि मंगलवार को ही उन्होंने अपने घर में राशन और सुबह जरूरत के सामान को अपने घरों में इकट्ठा कर दिया था।
लाहौर की बिलाल मस्जिद इलाके के मेटाला में रहने वाले तौकीर बताते हैं कि लाहौर ही नहीं पूरे पाकिस्तान में इस वक्त के हालात बहुत बदहाल हैं। सुबह से उनके इलाके की कोई दुकान नहीं खुली है। घरों में आने वाले दूध से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों वाली सब्जियां और अन्य सामान बुधवार की शाम तक खत्म हो जाएगा। तौकीर ने अमर उजाला डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि जिस तरीके के हालात हैं, उसे देख लग नहीं रहा है कि अगले कुछ दिनों के भीतर यहां पर लोगों को जरूरत की चीजें भी मुहैया हो पाएंगी। वह बताते हैं कि लाहौर की सभी सड़कों को पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है। न तो बाजार खुले हैं और ना ही कोई दफ्तर खुले हैं। अगर जरूरत के सामान लेने के लिए सड़कों पर कोई निकले भी तो एक तरह से अघोषित कर्फ्यू लगा हुआ है।
हालात सिर्फ लाहौर के ही नहीं खराब हैं, बल्कि जिस शहर रावलपिंडी में पाकिस्तान की सेना का मुख्यालय है, वहां तो लाहौर से भी ज्यादा बुरे हालात हो चुके हैं। रावलपिंडी के सामन टाउन में रहने दो लोगों ने अमर उजाला डॉट कॉम को फोन पर भी बातचीत में कहा कि यहां तो लोगों को घरों से निकालकर सेना न जाने कहां लेकर जा रही है। रावलपिंडी की रिपाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने अजमान और आकिब ने बताया कि वह जिस इलाके में रहते हैं वहां के हॉस्टल की मेस को बंद कर दिया गया है। कुछ परीक्षाएं होनी थीं वह भी टाल दी गई हैं। उनके इलाके में खाने-पीने के होटल पूरे तरीके से बंद हैं। दोनों लोगों का कहना है कि यहां के एटीएम में पैसा कभी भी खत्म हो सकता है। अगर एटीएम में पैसा वक्त पर नहीं डाला गया तो हालात बहुत बुरे हो जाएंगे। हालांकि इन लोगों का कहना है जो हालात इस वक्त बने हुए हैं उससे यह बिल्कुल नहीं लगता है कि यहां के एटीएम में पैसा जल्द पड़ेगा। ऐसे में हालात सिर्फ रावलपिंडी ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के और शहरों के बुरे होने वाले हैं।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति को करीब से समझने वाले मोहम्मद मुस्तफा जावेद कहते हैं कि मंगलवार को जो हालात थे उसकी तुलना में बुधवार को हालात कुछ हद तक देश के अलग-अलग बड़े शहरों में कंट्रोल में हैं, लेकिन एक तरह से इन शहरों में अघोषित कर्फ्यू ही लगा हुआ है। कई इलाकों में तो सेना और पुलिस ने घोषित कर्फ्यू किया है। वह बताते हैं कि जिस तरीके से पाकिस्तान में मंगलवार को बड़ी घटना हुई उसको लेकर स्थानीय लोगों खासतौर से इमरान के समर्थकों में गुस्सा फूटा। और इस गुस्से के चलते ही देश के सभी प्रमुख बड़े सरकारी संस्थानों में ना सिर्फ तोड़फोड़ की गई बल्कि आगजनी भी शुरू हो गई। वह कहते हैं कि यह सिलसिला मंगलवार की शाम से शुरू हुआ, जो बुधवार की अलसुबह तक चलता रहा। यही वजह रही कि पाकिस्तान के ज्यादातर बड़े शहरों में बुधवार की सुबह न बाजार खुले और न कोई कार्यालय। पाकिस्तान में हालात इस वक्त इतने तनावपूर्ण हैं कि यहां की स्थिति को श्रीलंका और अफगानिस्तान से कमतर नहीं आंका जा सकता।