मिडिल ईस्ट में गाजा को लेकर जारी विवाद ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की चिंता बढ़ा दी है। इजराइल ने सुमुद फ्लोटिला के जहाजों को रोक दिया, जिसमें स्वीडिश कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग समेत कई अंतरराष्ट्रीय सक्रिय लोग शामिल थे। अधिकारियों ने इन कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, जिसके बाद इटली में यूनियनों ने हड़ताल और प्रदर्शन की घोषणा कर दी।

सुमुद फ्लोटिला क्या है?
सुमुद फ्लोटिला गाजा तक मानवीय मदद पहुँचाने के लिए समुद्री रास्ते का उपयोग करता है। इस बार स्वीडिश कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में लगभग 500 लोग जहाज पर सवार होकर गाजा जाने का प्रयास कर रहे थे। इजराइल ने इस प्रयास को अवैध करार देते हुए जहाज और सभी यात्रियों को रोक लिया।

इटली में हड़ताल की वजह
इस फ्लोटिला में इटली के 15-20 सोशल एक्टिविस्ट भी शामिल थे। इटली की सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए जहाज को वापस बुला लिया, जिससे वामपंथी संगठनों और सोशल यूनियनों में गहरा आक्रोश पैदा हुआ। इटली की राजनीति में वामपंथी दल अक्सर फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े होते हैं और गाजा में इजराइली कार्रवाई को अमानवीय मानते हैं।

सरकार का कोई स्पष्ट रुख नहीं होने और अमेरिका की ओर झुकाव के चलते यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की। इटली में मानवीय मूल्य और सार्वजनिक भावनाओं को देखते हुए यह विरोध प्रदर्शन मेलोनी के लिए राजनीतिक चुनौती बन गया है।

मेलोनी के लिए चुनौती
प्रधानमंत्री मेलोनी आम तौर पर न्यूट्रल रुख अपनाती रही हैं, लेकिन गाजा मसले पर बढ़ते विरोध ने उन्हें अब कोई रुख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। यह स्थिति आगामी 2027 के आम चुनावों से पहले उनके लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यूरोप और इटली में मानवीय मुद्दों का व्यापक असर राजनीतिक समीकरणों पर पड़ता है।