पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा किया है कि यदि उन्होंने समय रहते हस्तक्षेप न किया होता और व्यापारिक वार्ता को रोकने की चेतावनी न दी होती, तो भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भड़क सकता था। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच उस समय हालात बेहद तनावपूर्ण थे और उनकी पहल के कारण ही टकराव टल सका।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से स्कॉटलैंड में एक औपचारिक बैठक से पहले ट्रंप ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उन्होंने न केवल भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम किया, बल्कि दुनिया भर में छह बड़े युद्धों को भी रोकने में अहम भूमिका निभाई।
ट्रंप के मुताबिक, “हमारे सामने कई ऐसे संघर्ष क्षेत्र थे जहां हालात युद्ध जैसे बन चुके थे। भारत और पाकिस्तान का मामला सबसे संवेदनशील था क्योंकि दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस हैं। वे एक-दूसरे के खिलाफ खतरनाक बयानबाजी कर रहे थे और इसी दौरान व्यापार समझौते पर भी बातचीत चल रही थी। मैंने साफ कह दिया कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो अमेरिका किसी तरह का व्यापार नहीं करेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि, “अगर दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ता, तो वह न सिर्फ क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक संकट बन सकता था, क्योंकि परमाणु युद्ध का असर सीमाओं तक सीमित नहीं रहता। यह पूरे विश्व को प्रभावित करता।”
पूर्व राष्ट्रपति ने माना कि कुछ लोग इसे अमेरिका का स्वार्थ कह सकते हैं, लेकिन अगर युद्ध टालने से परमाणु तबाही से बचा जा सके, तो यह हर किसी के हित में है।
कई बार दोहरा चुके हैं यह दावा
10 मई के बाद से ट्रंप कई बार इस बात को दोहराते आ रहे हैं कि उनके प्रयासों ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को टालने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा था कि अमेरिका तभी व्यापार करेगा जब दोनों देश शांति बनाए रखेंगे।
गौरतलब है कि भारत ने 7 मई को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया था। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी। चार दिन तक जारी संघर्ष के बाद 10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई थी।