फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। यह कदम ऐसे समय पर आया जब उन्होंने कुछ ही घंटे पहले नई कैबिनेट की घोषणा की थी। इससे फ्रांस की राजनीतिक स्थिति एक बार फिर गंभीर संकट में फंस गई है, जो 2022 से जारी है।

मैक्रों के सामने तीन जटिल विकल्प
लेकॉर्नू का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने तीन मुश्किल विकल्प हैं। पहला, नया प्रधानमंत्री चुनना। हालांकि, उनकी पार्टी से किसी योग्य व्यक्ति को चुनना चुनौतीपूर्ण है, और वामपंथी नेताओं को नियुक्त करना भी विवादास्पद हो सकता है। ऐसा होने पर दक्षिणपंथी गुट असंतुष्ट हो सकते हैं।

दूसरा विकल्प है संसद भंग कर नए आम चुनाव कराना। मैक्रों ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह ऐसा नहीं चाहते। यदि चुनाव हुए और दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ बहुमत में आई, तो सत्ता हस्तांतरण संभव है।

तीसरा विकल्प है स्वयं राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना। हालांकि मैक्रों ने कई बार इसे अस्वीकार किया है। अगर ऐसा हुआ, तो अगले राष्ट्रपति की संभावना अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सर्वेक्षण ‘नेशनल रैली’ की जीत की ओर इशारा कर रहे हैं।

2022 से राजनीतिक अस्थिरता जारी
फ्रांस में 2022 के चुनाव के बाद से मैक्रों की पार्टी को संसद में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। पिछले साल समय से पहले हुए संसदीय चुनाव ने त्रिशंकु संसद की स्थिति पैदा कर दी, जिसमें मैक्रों की केंद्र-दक्षिणपंथी पार्टी, वामपंथी गठबंधन और दक्षिणपंथी नेशनल रैली शामिल हैं।

बजट संकट और राष्ट्रपति चुनाव ने बढ़ाया दबाव
फ्रांस का बजट घाटा यूरोप में सबसे बड़ा है। पिछले प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर और फ्रांस्वा बायरू के बजट प्रस्तावों को संसद ने खारिज किया, जिससे वे पद छोड़ने को मजबूर हुए। लेकॉर्नू भी इसी दबाव के बीच कम समय में इस्तीफा देने को मजबूर हुए।

2027 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव ने राजनीतिक दलों के बीच सहयोग की संभावना को और कम कर दिया है। सभी दल अपनी रणनीतियों में व्यस्त हैं, जिससे संसद में अक्सर टकराव की स्थिति बनी रहती है। 2022 से अब तक मैक्रों ने पांच प्रधानमंत्रियों को बदल चुके हैं।

इस इस्तीफे के बाद फ्रांस की राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है, और मैक्रों के सामने अब कठिन फैसलों की चुनौती खड़ी हो गई है।