ढाका: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बुधवार को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया। यह प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है, जब भारत पहले ही ढाका स्थित अपने दूतावास की सुरक्षा को लेकर चिंता जता चुका है। प्रदर्शन ‘जुलाई ओयिक्को’ के बैनर तले किया गया, जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए गए और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना समेत अन्य नेताओं के प्रत्यर्पण की मांग की गई।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जुलूस की शुरुआत रमपुरा ब्रिज से हुई थी। सुरक्षा कारणों से पुलिस ने नॉर्थ बड्डा क्षेत्र में हुसैन मार्केट के पास प्रदर्शनकारियों को रोक दिया, जहां भारतीय उच्चायोग स्थित है। राजनयिक क्षेत्र की ओर जाने वाले मार्गों पर कई घंटों तक यातायात प्रभावित रहा। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने शुरुआती बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी।
प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने दावा किया कि वे उच्चायोग पर हमला नहीं करेंगे, लेकिन भारत पर बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि भारत समर्थित राजनीतिक दल और संस्थाएं देश के खिलाफ साजिश कर रही हैं।
गौरतलब है कि शेख हसीना पिछले वर्ष अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद सत्ता से हट गई थीं और इसके बाद भारत चली गई थीं। हाल ही में एक विशेष अदालत ने आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामलों में उन्हें अनुपस्थित रहते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
ढाका पुलिस के डिप्टी कमिश्नर नूर-ए-आलम सिद्दीक ने बताया कि भारतीय दूतावास की सुरक्षा को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रदर्शन का नेतृत्व ढाका यूनिवर्सिटी सेंट्रल स्टूडेंट्स यूनियन के सोशल वेलफेयर सचिव एबी जुबैर कर रहे थे। पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठ गए और नारेबाजी करते रहे।
इससे पहले सुरक्षा हालात को देखते हुए ढाका स्थित भारतीय वीजा आवेदन केंद्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। वहीं नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के राजदूत को तलब कर भारतीय मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार पर होने की बात दोहराई।
हाल के दिनों में बांग्लादेश में हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। पिछले सप्ताह आंदोलन के एक प्रमुख नेता शरीफ उस्मान हादी पर गोलीबारी की घटना हुई, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा, सुरक्षा चिंताओं के चलते एक प्रमुख राजनीतिक दल के उम्मीदवार ने चुनाव से हटने का फैसला किया है। आंदोलन से जुड़े नेताओं ने हालात और बिगड़ने की चेतावनी दी है।