सिंगापुर में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि देश में कई बदलाव के फायदे अब दिखने लगे हैं। अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक अस्थायी उपाय था। इसने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को थाम दिया था। अनुच्छेद 370 से हमें एक राष्ट्र के तौर पर नुकसान ही हुआ है। 

'अनुच्छेद 370 हटते ही बदल गई तस्वीर, विकास में तेजी'
जम्मू-कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद के मुद्दे पर अपने संबोधन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद, हिंसा और आतंकवाद को जन्म दिया, जो पूरे देश की सुरक्षा के लिए एक समस्या बन गई थी। इस तरह के कानूनों ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों के विकास को पूरी तरह से रोक दिया था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद का बदलाव आज आप महसूस कर सकते हैं। विकास की रफ्तार बढ़ गई है। गौरतलब अगस्त 2019 में भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

भारत और रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे- जयशंकर
इस बीच, भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार भारत और रूस के संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत के रूस के साथ हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के हितों का खास ध्यान रखा है। इस दौरान जयशंकर ने उस बात को पूरी तरह से खारिज किया है जिसमें कहा गया कि रूस अब भारत की मुकाबले चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है।

अपने संबोधन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत को रूस या किसी अन्य देश के साथ अपने संबंधों को अपने नजरिए से देखना चाहिए। क्या रूस ने हमारी मदद की या नुकसान पहुंचाया इस सवाल के जवाब में एस जयशंकर ने यह बात कही थी। 

एक-दूसरे का दोनों देशों ने रखा ख्याल- जयशंकर
भारत-रूस के संबंधों पर एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस दोनों ने एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखने के लिए ज्यादा सावधानी बरती है। इसलिए, मुझे लगता है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमारे द्विपक्षीय मुद्दों में भी मजबूती आएगी। गौरतलब है कि यूक्रेन और रूस युद्ध के बावजूद भारत और रूस के संबंध मजबूती से खड़े हुए हैं। भारत ने हमेशा से युद्ध का कूटनीतिक और बाचीत के माध्यम से हल निकालने की बात कही है। 

नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और भारत के साथ संबंध पर एक सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि मैं धैर्य रखना पसंद करता हूं। जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अमेरिका का जो भी राष्ट्रपति होगा, भारत उसके साथ मिल सकता है।