फर्जी आईडी पर गाड़ियां निकालने वाले गिरोह का पर्दाफाश

मुजफ्फरनगर। फर्जी आईडी बनाकर लोन पास कराकर गाडी निकालने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए थाना नई मंडी पुलिस ने 4 गाडियां बरामद कर 4 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि थाना नई मंडी पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए फर्जी लोन कराकर निकाली गयी 4 लक्जरी गाडियां, जिनकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये हैं, बरामद कर 4 अभियुक्त गिरफ्तार किए हैं। एसपी सिटी ने बताया कि वादी संदीप कुमार पुत्र स्व. ब्रजपाल सिंह एडवोकेट द्वारा थाना नई मण्डी अपने आधार कार्ड व पेन कार्ड के कुटरचित दस्तावेज बनाकर फर्जी तरीके से 1,19,556 रुपये का क्रेडिट कार्ड एवं 17,50,243 रुपये का आटो लोन कराया गया। आटो लोन पर एक टाटा हेरियर (chasis no-MZBEU813LLN085485/EN. NO-D4FALM977087) को निकाला गया है।  इस सम्बन्ध में थाना नई मण्डी पर CN-601/21 US-420,467,468,471 IPC पंजीकृत कर टीम का गठन कर अभियुक्तों की तलाश की गई। इस गैंग का पर्दाफाश करते हुए  थाना नई मण्डी पुलिस द्वारा 4 शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम अंकुश त्यागी पुत्र मुकेश त्यागी निवासी 1028/8 रामपुरी थाना कोतवालीनगर, आलोक त्यागी पुत्र बिजेन्द्र त्यागी निवासी एकता बिहार रुडकी रोड  थाना कोतवालीनगर, संदीप कुमार पुत्र जयभगवान निवासी गली नं0-22 गांधी कालोनी थाना नई मंडी,  सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिह निवासी म0न0-17 गाँधीनगर थाना नई मंडी निवासी है।
बरामदगी का विवरण देते हुए एसपी सिटी ने बताया कि गाडी KIA SELTOS नम्बर UK07DS4871, HUNDAI VENUE बिना नम्बर जिसका चैसिंस नम्बर-MALFC81DLLM138651, गाडी टाटा हेरियर जिसका चैसिंस संख्या MZBEU813LLN085485  तथा इंजन नं0 D4FALM977087, क्रेटा रंग सफेद न0 UP12BC6856, 1700/- रुपये बरामद किए है।
बरामद गाडियां लगभग 5-6 महीने पहले कम्पनी से निकाली गयी है जिनकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये है। घटना करने का तरीका बताते हुये एस पी सिटी ने जानकारी दी कि यह गैंग फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड व फर्जी फोटो बनाकर बैंक मे कागज जमा कर लोन पास कराकर नई गाडी कम्पनी से खरीद लेते है । यह लोग अब तक करीब 15 गाडियो का फर्जी फाईनेंन्स करा चुका है। एक गाडी को खरीदने के लिये गाडी की कीमत का 20 प्रतिशत बैंक मे जमा कराते है जिसमे फर्जी पता होने के कारण बैंक उसे ट्रेश नही कर पाता है। इस गैंग मे एक फाईनेन्सर होता है और दो तीन लोग फर्जी कागज तैयार करते है तथा फर्जी फोटो देते है । इस गैंग की बैंक कर्मियो से मिलीभगत होती है। यह लोग खरीदी हुई गाडी को गाडी खरीदने बैचने का काम करने वाली डीलरों को पूरे रेट मे बेच देते है। इस गैंग मे गाडी बेचने पर आये हुए रुपयों को अपना एक हिस्सा होता है और आपस मे पैसे बेचने के बाद बांट लेते है।

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