गोरखपुर: सुनियोजित तरीके से बंदी के कगार पर पहुंचाया गया पराग डेयरी का प्लांट

करोड़ों की लागत से बने पराग डेयरी प्लांट को सुनियोजित तरीके से बंदी के कगार पर पहुंचाया गया है। ऐसा आरोप तमाम पशुपालक लगा रहे हैं। जिस तरह से प्लांट का संचालन किया गया है उससे भी पशुपालकों के आरोप की पुष्टि होती है। कुछ अधिकारियों की मनमानी से यह प्लांट निजी हाथों में जाने वाला है।

जानकारी के अनुसार, 20 हजार क्षमता वाले प्लांट की जगह एक लाख लीटर प्रतिदिन खपत की क्षमता वाला पराग डेयरी का प्लांट साल 2019 में शुरू किया गया था। नए प्लांट की शुरूआत से ही साजिश होनी शुरू हो गई थी। इसे धीरे-धीरे इस स्थिति में ला दिया गया कि बंद होने की नौबत आ गई। पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित प्लांट ने अब उन्हीं को संकट में डाल दिया है।

पराग डेयरी के नए प्लांट के उद्घाटन के बाद सुचारु रूप से चलाने के लिए 11 अप्रैल 2019 को मुख्य महाप्रबंधक ने अयोध्या में मेसर्स आईडीएमसी के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने निर्देश दिया था कि नए प्लांट को चलाने के लिए गोंडा, बस्ती और फैजाबाद दुग्ध संघ प्रतिदिन पराग डेयरी को 40 से 50 हजार लीटर दूध की आपूर्ति करेंगे।

इस निर्देश का पालन करते हुए बस्ती ने प्रतिदिन 10 से 15 हजार लीटर दूध भेजना शुरू किया, लेकिन गोंडा और फैजाबाद दुग्ध संघ ने इस पर अमल नहीं किया। डेयरी किसी तरह 20 से 25 हजार लीटर दूध पर चलती रही।उधर, तत्कालीन जिम्मेदारों की लापरवाही से डेयरी का बॉयलर 15 दिसंबर 2022 को जल गया। पहले से अतिरिक्त बॉयलर खराब था। बॉयलर खराब होने से डेयरी का उत्पाद ठप हो गया। इस कारण बस्ती अपना दूध अयोध्या भेजने लगा।

पांच जनवरी 2023 को 20 दिन बाद बॉयलर बना, लेकिन अधिकारियों ने बस्ती को पराग में पुनः वापसी नहीं होने दिया, जिससे दूध की कमी हो गई। दूध की कमी से डेयरी पर संकट के बदल मड़राने लगे।

इधर, दुग्ध उत्पादकों के भुगतान में भी हीलाहवाली होने लगी, जिससे दूध की कमी हो गई। डेयरी के जीएम इंद्र भूषण सिंह के पास गोंडा और गोरखपुर दोनों का चार्ज है। यहां उनका आना बहुत कम होता है। इस वजह से भी डेयरी का संचालन प्रभावित हुआ है।

उधर, गोरखपुर मंडल के पशुपालकों से दूध खरीदने में आनाकानी जारी रही। मंडल के चारों जिलों में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कोई काम नहीं किया गया। उल्टा पानी मिलाने का आरोप लगाकर हतोत्साहित किया गया। इस वजह से इन चारों जिलों से पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पाया।

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