बच्चों के कोविड टीकाकरण की तैयारी में जुटी सरकार

सरकार त्यौहारी सीजन के बाद बच्चों को कोविड टीका लगाने की तैयारी में जुट गयी है और इसके लिये स्थानीय स्तर बुनियादी ढ़ांचा बनाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में पूरे मामले से जुड़े अधिकारियों ने यहां बताया कि देश के लगभग 44 करोड़ बच्चों को भी अब कोरोना टीकाकरण के दायरे में लाने की योजना के तहत इस समय प्राथमिकता सूची तैयार करने का काम तेजी से जारी है और उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने के पहले पखवाड़े में त्योहारों के बाद बच्चों के टीकाकरण की शुरूआत हो जाएगी। 

स्थानीय स्तर पर बच्चों को कोविड टीका देने के लिए विशेष केंद्र बनाए जा रहे हैं। इन केंद्रों के निकट अस्पतालों में भी आपात स्थिति में बच्चों को चिकित्सा सहायता देने का बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। बाल कोविड केंद्रों का स्वरूप बच्चों की रुचि के अनुरूप होगा। इन केंद्रों में बच्चों के लिए खेलने का भी सामान प्राप्त होगा और इन केंद्रों को रंग बिरंगे रंगों से सजाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार बच्चों के टीकाकरण की शुरूआत से पूर्व ही इसको लेकर नियम तैयार किये जा रहे है। मुख्य रूप से कई चरणों में बच्चों के टीकाकरण किया जाएगा। बच्चों के आयुवर्ग के आधार पर भी प्राथमिकता सूची तय होगी और बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जाएगा। 

अधिकारियों का कहना है कि टीकाकरण की शुरूआत 12 से 18 वर्ष की आयु के उन बच्चों से होगी जिन्हें कोरोना से बचाव के लिए टीके की सबसे अधिक आवश्यकता है। राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार ग्रुपलके अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने भी कहा है कि शुरूआती चरण में पहले से कई तरह की बीमारियों से पीड़ित और संक्रमण के लिहाज से अधिक जोखिम वाले बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। इसके अलावा देश में कोविड कार्य बल के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने भी चरणबद्ध तरीके से बच्चों का टीकाकरण किए जाने का संकेत देते हुए कहा है कि सरकार वैज्ञानिक तकर् के साथ-साथ बच्चों के लिए मौजूद टीके की उपलब्धता की वास्तविक स्थिति के आधार पर ही कोई फैसला लेगी। 

देश में बच्चों के लिये दो कोविड टीकों कोवैक्सिन और जायडस को मंजूरी देने की प्रक्रिया चल रही है। भारत बायोटेक ने क 18 वर्ष से कम आयु वर्ग की आबादी को कोवैक्सिन का टीका तैयार किया है और इसके लिये भारतीय औषधि महा नियंत्रक की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश प्राप्त कर ली है। यह टीका दो वर्ष से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को दिया जा सकता है। जायडस का टीका 12 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिये होगा। अध्ययनों के अनुसार में कोरोना संक्रमित होने वाले बच्चों पर बीमारी का असर कुछ कम पड़ता है लेकिन बच्चों के माध्यम से तेजी से संक्रमण फैल सकता है। इसलिए बच्चों को भी टीकाकरण के दायरे में लाने को लेकर तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए जिस टीके के इस्तेमाल को सबसे पहले आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिली है वह जायडस कैडिला की भारत में जायकोव-डी के नाम से तैयार की गई वैक्सीन है जो इस्तेमाल के लिए लगभग तैयार है। इस वैक्सीन के लिए सीरिंज की आवश्यकता नहीं है और यह 12 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को लगाई जानी है।    

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