एक और राहत पैकेज देने की तैयारी कर रही सरकार! कोरोना की दूसरी लहर पर क्या बोलीं निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच वित्त मंत्री  ने कहा है  यानी प्रोत्साहन पैकेज जारी करने से पहले बजट को लागू होने दिया जाएगा। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सिद्धार्थ, सुरोजीत गुप्ता और राजीव देशपांडे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का इंटरव्यू लिया और कुछ अहम बातें पता चली हैं। इन्हीं में से एक है स्टीमुलस पैकेज के बारे में। आइए जानते हैं निर्मला सीतारमण ने क्या कहा।

जब निर्मला सीतारमण से स्टीमुलस पैकेज के बारे में पूछते हुए कहा गया कि ऐसी बातें हो रही हैं कि सरकार की तरफ से बड़ा स्टीमुलस पैकेज जारी नहीं किया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि अभी तो पहली तिमाही भी खत्म नहीं हुई और अभी से स्टीमुलस पैकेज की बात सही नहीं। वह बोलीं कि पहले तो बजट को पूरी तरह से लागू करने की जरूरत है, जिसे अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के असर को ध्यान में रखते हुए ही बनाया गया था।

पुरानी योजनाओं का पैसा ही अभी बाकी है!

स्टीमुलस पैकेज की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि बजट खुद में ही सारी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि अभी भी आत्मनिर्भर भारत के तहत शुरू की गई बहुत सी योजनाओं का उपयोग किया जा रहा है। उदाहरण के लिए क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम का फंड अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो सका है। हमने इसे और सेक्टर्स के लिए भी खोल दिया है और आगे भी इसे बढ़ाए जाने का पूरा स्कोप है।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि SWAMIH फंड (Special Window for Completion of Construction of Affordable and Mid-Income Housing Projects) की शुरुआत पूरे देश में 135 प्रोजेक्ट्स के साथ की गई है, जो लंबे समय तक लोगों को फायदे पहुंचाएगा। इससे उन लोगों को फायदा पहुंचेगा जो लोग किराया देते हैं या फिर ईएमआई चुकाते हैं। एक तरह से देखा जाए तो ये भी एक स्टीमुल पैकेज ही है, क्योंकि इससे सीमेंट, स्टील और लेबर को काफी फायदा पहुंचेगा


दूसरी लहर का इकनॉमी पर कितना असर?

वह बोलीं कि अभी भी आत्मनिर्भर भारत की कई घोषणाएं एक्टिव हैं, जैसे ग्रामीण इलाकों में वेलनेस सेंटर सेटअप करना, एग्रिकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना और भी काफी कुछ। पिछले साल हमने मांग बढ़ने पर मनरेगा का बजट भी बढ़ा दिया था। अगर जरूरत पड़ती है, तो हम इस बार फिर से बजट बढ़ाएंगे, लेकिन अभी मांग अधिक नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद जब लेबर वापस आ रहे हैं तो वह अपनी स्किल्स के हिसाब से नेगोशिएट कर रहे हैं। ऐसे में अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके आकलन का काम तो जारी है, लेकिन अभी हर सप्ताह का आकलन दूसरे सप्ता से काफी अलग रह रहा है, क्योंकि हर सप्ताह मिलने वाले इनपुट ही अलग-अलग हो रहे हैं।

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