इतिहासकार विक्रम संपत का खुलासा: गांधी के कहने पर सावरकर ने मांगी थी माफी

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की सावरकर और महात्मा गांधी के बारे में दिए गए बयान पर मचे बवाल के बाद इतिहासकार विक्रम संपत ने साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं. उन्होंने पुस्तक के उन पंक्तियों को भी साझा किया है, जिसमें यह स्पष्ट है कि महात्मा गांधी ने सावरकर को दया याचिका दाखिल करने के लिए कहा था. संपत ने रक्षा मंत्री के बयान पर उठाए जा रहे सवालों का सबूत के साथ जवाब दिया है.

गांधी सेवाग्राम आश्रम की वेबसाइट पर महात्मा गांधी के कामों के बारे में दी गई जानकारी के कलेक्शन (Gandhi Literature: Collected Works of Mahatma Gandhi) में गांधी के उस लेटर का जिक्र है जो उन्होंने एनडी सावरकर यानी सावरकर के भाई को लिखा था. महात्मा गांधी का यह पत्र ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी’ के वॉल्यूम 19 के पेज नंबर 348 पर मौजूद है.

इस पत्र में महात्मा गांधी ने एनडी सावरकर को लिखा, ‘प्रिय सावरकर, मेरे पास आपका पत्र है. आपको सलाह देना मुश्किल है. हालांकि, मेरा सुझाव है कि आप मामले के तथ्यों को स्पष्ट करते हुए एक संक्षिप्त याचिका तैयार करें जिससे यह स्पष्ट हो सके कि आपके भाई द्वारा किया गया अपराध विशुद्ध रूप से राजनीतिक था. मैं यह सुझाव इसलिए दे रहा हूं ताकि मामले पर जनता का ध्यान केंद्रित किया जा सके. इस बीच जैसा कि मैंने आपको पहले के एक पत्र में कहा है, मैं इस मामले में अपने तरीके से आगे बढ़ रहा हूं.’

महात्मा गांधी द्वारा सावरकर को लिखा गया पत्र

महात्मा गांधी द्वारा सावरकर को लिखा गया पत्र

इसके बाद महात्मा गांधी ने इस मामले को मुद्दा बनाने के लिए ‘यंग इंडिया’ में 26 मई 1920 को एक लेख लिखा था. इतिहासकार विक्रम संपत का कहना है कि जब गांधी के पत्र का हिस्सा पहले से मजूद है तो फिर राजनाथ सिंह के इस बयान पर इतना शोर क्यों है. उन्होंने ट्वीट में सारे साक्ष्यों को रखते हुए लिखा, ‘मुझे आशा है कि आप यह नहीं कहेंगे कि गांधी आश्रम ने इन पत्रों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.’

‘यंग इंडिया’ में छपे महात्मा गांधी के लेख का हिस्सा

‘यंग इंडिया’ में 26 मई 1920 को महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए लेख का हिस्सा

सावरकर पर क्या बोले थे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह?

एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर ही जेल में बंद सावरकर ने अंग्रेजों को दया याचिका के लिए लिखा था. उन्होंने कहा कि सावरकर को लेकर अलग-अलग तरह के झूठ फैलाए गए. कहा गया कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने दया के लिए कई बार याचिका दाखिल की थी. लेकिन सच ये है कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर दया याचिका दाखिल की थी.

विक्रम संपत का ट्वीट

रक्षा मंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा को मानने वाले लोगों ने वीर सावरकर को फासीवादी बताकर प्रचारित किया, जबकि वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे. राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि सावरकर को दिखाई जा रही नफरत बिलकुल तथ्यहीन है. रक्षा मंत्री ने सावरकर को भारत का पहला रक्षा विशेषज्ञ बताते हुए कहा कि वो इस बात की बेहतर जानकारी रखते थे कि दूसरे देशों के साथ कैसे संबध रखे जाएं. उनकी नीतियां इस मुद्दे पर स्पष्ट थी. राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर हिदुत्व को धर्म से ऊपर समझते थे. वो धर्म के आधार पर बांटे जाने को गलत मानते थे.

मोहन भागवत बोले- सावरकर के बाद विवेकानंद और दयानंद का भी नंबर आएगा

इस कार्यक्रम में स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे. उन्होंने सावरकर पर कहा, ‘सावरकर का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व, ऐसा बोलने का फैशन हो गया. हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा. सावरकर ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा.’

भागवत ने कहा, ‘आजादी के बाद सावरकर को बदनाम करने की मुहिम बहुत तेजी से चली. अभी संघ और सावरकर पर टीका टिपण्णी हो रही है लेकिन आने वाले समय में विवेकानंद, दयानंद और स्वामी अरविंद का नंबर आएगा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘भारत को जोड़ने से जिसकी दुकान बंद हो जाए, उनको अच्छा नहीं लगता है. ऐसे जोड़ने वाले विचार को धर्म माना जाता है. ये धर्म जोड़ने वाला है ना कि पूजा-पद्धति के आधार पर बांटने वाला. इसी को मानवता या संपूर्ण विश्व की एकता कहा जाता है. सावरकर ने इसी को हिंदुत्व कहा.’

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