उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के करीब स्थित टीटवाल में शारदा मंदिर के द्वार आज से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर वर्चुअली संबोधन किया। गृहमंत्री ने देश सहित प्रदेशवासियों को इसके लिए शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कहा कि आज ही के दिन नववर्ष शुरू होता है और आज के दिन माता शारदा मंदिर का द्वार भक्तों के लिए खोल दिया गया है। वह आज घाटी नहीं पहुंच पाए हैं। लेकिन वह जब भविष्य में घाटी आएंगे तो यहां माता के दर्शन करने जरूर पहुंचेगे।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा-
– पहले नवरात्र के दिन ही माता की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया है।
– यह कदम सिर्फ मंदिर का पुण:निर्माण नहीं, बल्कि शारदा सभ्यता की खोज की एक शुरुआत है।
– ऐसा मानना है कि व्यक्ति की चेतना को ब्राह्मंड की अनंत चेतना के साथ जोड़ने वाली ज्ञान का जमीन पर उतरने वाली शुरुआत होगी।
– एक समय में भारतीय उपमहाद्वीप में शारदा पीठ ज्ञान का केंद्र माना जाता था।
– शास्त्रों और आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में पूरे देश से विद्वान यहां पहुंचते थे।
– आदि शंकराचार्य स्वयं यहां आएं। मां की आराधना के लिए उन्होंने सतुतियां भी बनाईं।
– शारदा लिपि का नाम मां के नाम के आधार पर रखा गया है।
– यह महाशक्ति पीठों में से एक है। हमारी कथाओं के अनुसार, सती का दाहिना हाथ यहां गिरा था। और सागर मंथन के बाद जो अमृत निकला, वो भी यहां लाया गया था। उस में से जो दो बूंद गिरी वो यहां मूर्ति के रूप में स्थापित हुई।
– आज समय सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गर्व और संतोष का क्षण है।
– ऐसी मांग की गई है कि करतार कॉरिडोर की तरह शारदा पीठ को भी जल्दी से यात्रा के लिए खोल दिया जाए। भारत सरकार इस दिशा में प्रयास करेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है।
– अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जो शांति प्रस्थापित हुई है। उससे घाटी और जम्मू में फिर से एक बार अपनी पुरानी परंपराओं के लिए ले जाने का काम किया है।