आने वाले समय में रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया बयान से यह संकेत मिल रहे हैं। पुतिन ने चेतावनी दी है कि यदि शांति समझौते से पहले यूक्रेन में विदेशी सैनिक तैनात किए गए, तो मॉस्को की सेना उन्हें निशाना बनाएगी।
पुतिन ने यह टिप्पणी रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में की। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन में पीसकीपिंग फोर्स भेजने की योजना बनाई है। यूरोपीय देश इसे यूक्रेन की सुरक्षा के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि मॉस्को इसे सीधे युद्ध की तैयारी के रूप में देख रहा है।
क्रेमलिन की शर्तें
पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि युद्ध के बाद भी किसी शांति-रक्षा बल की तैनाती की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अंतिम शांति समझौते के बाद रूस इसे लागू करेगा, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को सुरक्षा गारंटी मिलनी जरूरी है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि किसी भी समझौते के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज होना आवश्यक हैं।
यूरोपीय देश और मैक्रों की योजना
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि 35 देशों के “कोएलिशन ऑफ द विलिंग” में से 26 देश युद्धविराम के बाद यूक्रेन की सुरक्षा के लिए सैनिक या अन्य बल भेजने को तैयार हैं। ये सैनिक जमीनी, समुद्री और हवाई निगरानी में मदद करेंगे। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि सुरक्षा गारंटी युद्ध खत्म होने के बाद नहीं, बल्कि अभी से लागू होनी चाहिए।
हमले और ड्रोन गतिविधियां जारी
यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष के दौरान हमले भी लगातार जारी हैं। एपी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने गुरुवार रात यूक्रेन पर 157 ड्रोन और 7 मिसाइलें दागीं। यूक्रेन की वायुसेना ने इनमें से 121 ड्रोन को मार गिराया या जाम किया। रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उनकी सेना ने भी 92 यूक्रेनी ड्रोन गिराए। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मॉस्को से लगभग 200 किलोमीटर दूर रियाज़ान शहर में रोसनेफ्ट तेल रिफाइनरी पर भी हमला हुआ।