पाकिस्तान में चीनी विदेश मंत्री के कश्मीर का ज़िक्र करने पर भारत ने दी सख्त प्रतिक्रिया

पाकिस्तान (Pakistan) की राजधानी इस्लामाबाद (Islamabad) में हो रही इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में इमरान ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया. कश्‍मीर के मुद्दे पर पाकिस्‍तान को चीन का पूरा साथ मिला. इस मामले पर अब भारत के विदेश मंत्रालय ने आपत्ति दर्ज कराई है. भारत की ओर से कहा गया है कि ओआईसी की बैठक के दौरान जिस तरह से चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बयान दिया है उसे भारत अस्‍वीकार करता है. विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामले पूरी तरह से भारत के आंतरिक मामले हैं. चीन सहित अन्य देशों के पास टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.

बता दें कि इमरान खान ने मुस्लिम देशों के 57 सदस्यीय निकाय OIC के विदेश मंत्री परिषद (CFM) के 48वें सत्र के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण दिया. इमरान ने कहा, ‘हम फलस्तीनियों और कश्मीर के लोगों के आगे फेल हुए हैं. मुझे ये कहते हुए दुख हो रहा है कि हम कोई प्रभाव नहीं डाल पाए हैं. वे हमें गंभीरता से नहीं लेते हैं, हम लोग विभाजित हैं और वे शक्तियां इसे जानती हैं. इन दिनों पाकिस्तान में इमरान खान अपनी कुर्सी बचाते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बीच वह इस राजनीतिक उठापटक से बचने के लिए OIC की बैठक में पहुंचकर मुस्लिम देशों से फलस्तीन और कश्मीर मुद्दे पर एक साथ आने की बात कर रहे हैं.

वहीं. चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) अपने पाकिस्तानी समकक्ष कुरैशी के निमंत्रण पर विशेष मेहमान के तौर पर OIC की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि इमरान शिनजियांग (Xinjiang) उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों के हनन के बावजूद चीन का समर्थन करते हैं. सालों से चीन के अधिकारियों ने उइगर और अन्य तुर्किक अल्पसंख्यकों को जबरदस्ती गिरफ्तार किया है और उन्हें डिटेंशन कैंपों में रखा है. इन कैंपों में उनके साथ अत्याचार किए जाते हैं. यहां कैद लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है. अमेरिका और कई पश्चिमी मुल्कों का कहना है कि चीन यहां पर नरसंहार कर रहा है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने के लिए आगे आए चीन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आगाह किया कि विश्व ‘शीत युद्ध’ और प्रतिद्वंद्वी गुटों की राजनीति के कारण ‘गलत’ दिशा में जा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने के लिए मुस्लिम देशों और चीन को साझेदारी करनी चाहिए.

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