असम के सोनापुर में नहीं चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

असम के सोनापुर में बुलडोजर कार्रवाई के मामले में आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अवमानना दायर करने वाले याचिकाकर्ता के वकील हुजैफा अहमदी ने बताया कि असम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश उल्लंघन किया जा रहा है. इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने असम सरकार को नोटिस जारी किया और यथास्थिति कायम करने का आदेश दिया.

इसके साथ ही कोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश की अवहेलना कर उनके घरों को ढहाया जा रहा है. उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया है, जिसके मुताबिक उन्हें अतिक्रमण का जिम्मेदार मानते हुए इस कार्रवाई को सही ठहराया जा सके.

अवमानना याचिका में कहा गया है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश भर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश दिए थे लेकिन इसके बावजूद असम के सोनापुर में बुलडोजर कार्रवाई जारी है. याचिका में बुलडोजर कार्रवाई में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग भी की गई है.

दरअसल, कुछ दिन पहले असम के कामरूप जिले में बेदखली अभियान शुरू किया गया था. 347 एकड़ से ज्यादा जमीन से अतिक्रमण हटाने अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू की थी. यह अभियान हिंसक हो गया था. पुलिस की गोलीबारी में कुछ लोगों की मौत हो गई थी जबकि 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस गोलीबारी के कुछ दिन बाद एक बार फिर अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू हुआ. गुवाहाटी से सटे सोनापुर में सैंकड़ों मकानों को तोड़ दिया गया. प्रभावित परिवारों में मुसलमान परिवार भी शामिल हैं.

बुलडोजर एक्शन पर SC ने क्या कहा था?

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने एक अंतरिम फैसले में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना निजी संपत्तियों पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है. हम इस पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेंगे, तब तक आप इसे रोके रखिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला जमीयत और अन्य संगठनों की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार किसी भी आरोप में पकड़े जाने पर लोगों का घर गिरा रही है, यह अनुच्छेद-21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है.

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