पंजाब-कश्मीर से लेकर अरुणाचल-सिक्किम-मिजोरम तक में बदलीं चुनाव तारीखें, हरियाणा में मांग

हरियाणा में 1 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान तय है। हालांकि, भाजपा समेत कुछ दलों ने चुनाव कार्यक्रम में बदलाव की मांग की है। इसको लेकर भाजपा और इंडियन नेशनल लोकदल ने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है। पार्टी ने छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए मतदान की तारीख बदलने की बात कही है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आयोग चुनाव कार्यक्रम में बदलाव कर सकता है। 

हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी राज्य में चुनाव की तारीखों में परिवर्तन की मांग उठी हो। हाल में लोकसभा के साथ हुए दो राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखें बदली थीं। 

आइये जानते हैं कि निर्वाचन आयोग कैसे तय करता है चुनाव कार्यक्रम? हरियाणा में चुनाव की तारीख बदलने की मांग क्या है? इसकी वजह क्या बताई जा रही है? पहले किन राज्यों में चुनाव कार्यक्रम बदला?

निर्वाचन आयोग कैसे तय करता है चुनाव कार्यक्रम? 
चुनाव कार्यक्रम में अधिसूचना जारी होने की तिथि से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने की तारीख तक की सभी तारीखें शामिल होती हैं। इसमें मतदाताओं के लिए, कार्यक्रम में दो सबसे अहम तिथियां मतदान और मतगणना की तारीखें होती हैं।

निर्वाचन आयोग, लोकसभा या राज्य विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने के छह महीने के भीतर किसी भी समय चुनावों की अधिसूचना जारी कर सकता है। यह प्रावधान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 14 और 15 में किया गया है। चुनाव प्रक्रिया, लोकसभा या राज्य विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल खत्म होने से पहले पूरी होनी चाहिए।

चुनाव कार्यक्रम तय करते समय, आयोग सुरक्षा बलों की आवाजाही के लिए उपलब्धता और आवश्यकताओं, ईवीएम और चुनाव अधिकारियों की व्यवस्था के साथ-साथ प्रमुख राष्ट्रीय और स्थानीय त्योहारों और मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति को भी देखता है।

यदि कई राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल लगभग एक ही समय पर खत्म हो रहा है, तो चुनाव आयोग चुनाव एक साथ कराने का प्रयास करता है। मतदान भले ही अलग-अलग दिनों में हो, लेकिन मतगणना आमतौर पर एक ही दिन होती है।

हरियाणा में चुनाव तारीखों को लेकर क्या हो रहा है?
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों में बदलाव की मांग हो रही है। चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को जम्मू कश्मीर के साथ हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया था। फिलहाल हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में मतदान होना है। मौजूदा कार्यक्रम के अनुसार, चुनाव के लिए अधिसूचना 5 सितंबर को जारी होगी। नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर होगी। वहीं, मतदान 1 अक्तूबर को होगा। नतीजे 4 अक्तूबर को घोषित किए जाएंगे। 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होने के लगभग एक सप्ताह बाद, भाजपा और इंडियन नेशनल लोकदल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतदान को लगभग एक सप्ताह के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा बिश्नोई समाज महासभा ने भी मतदान की तारीख में बदलाव की मांग की है।

चुनाव तारीख बदलने की मांग क्यों हो रही?
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने शनिवार (23 अगस्त) को चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में 1 अक्तूबर को होने वाले मतदान को स्थगित करने की मांग की। उन्होंने कहा था कि मतदान से दो दिन पहले (28-29 सितंबर) और एक दिन बाद छुट्टी है। ऐसे में लोग 30 सितंबर को छुट्टी लेकर बाहर जा सकते हैं।

बडोली ने यह भी बताया कि हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिलों के अधिकांश बिश्नोई परिवारों के भी 2 अक्तूबर को वार्षिक मेले में भाग लेने के लिए मतदान के दिन बीकानेर जाने की उम्मीद है। इससे मतदान प्रतिशत पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने भी मतदान को लगभग एक सप्ताह के लिए स्थगित करने की मांग की है। चौटाला ने कहा कि मौजूदा कार्यक्रम के अनुसार चुनाव होने से ‘मतदान प्रतिशत में 15-20% की कमी आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि छुट्टियों के कारण चुनाव कर्मचारियों के प्रशिक्षण और मतदान की तैयारी पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

हरियाणा चुनाव आयोग के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी इसी तरह का अनुरोध किया है। इन दलों के अलावा बिश्नोई समाज महासभा ने भी मतदान की तारीख में बदलाव की मांग की है। महासभा के अध्यक्ष देवेंद्र बुडिया ने बताया कि हर साल राजस्थान के बीकानेर में गुरु जंभेश्वर भगवान की समाधि स्थल पर अमावस्या के दिन बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें हरियाणा समेत पूरे देश के बिश्नोई समाज के लाखों श्रद्धालु मेले में पहुंचते हैं। इस बार 1 अक्तूबर को आसोज की अमावस्या पर मुक्तिधाम मुकाम में मेला निर्धारित है। 2 तारीख को भी पूरे दिन अमावस्या है और 1 अक्तूबर को ही मतदान है। 

महासभा का कहना है कि मेला होने की वजह से बिश्नोई समाज के काफी लोग चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे, इसलिए मतदान की तारीख बदली जाए।

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पहले किन राज्यों में चुनाव कार्यक्रम बदला?

जम्मू कश्मीर: निर्वाचन आयोग ने 16 मार्च, 2024 को लोकसभा के आम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके, तीसरे चरण के लिए अधिसूचना 12 अप्रैल, 2024 को जारी की गई थी और मतदान का दिन 7 मई 2024 को निर्धारित किया गया था। विभिन्न लॉजिस्टिक, संचार और मौसम संबंधी दिक्क्तों के चलते राजनीतिक दलों ने जम्मू- कश्मीर की 3-अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पर चुनाव की तारीख बदलने की मांग की थी। इसके बाद मतदान की तिथि 7 मई, 2024 (चरण-3) को बदलकर 25 मई, 2024 (चरण-6) कर दिया गया था। 

अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम: लोकसभा चुनाव के साथ चार राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हुए थे। चुनाव आयोग ने 16 मार्च, 2024 को आम चुनाव के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की विधानसभाओं और लोकसभा के आम चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। आयोग ने पहले अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में मतदान की तारीख 19 अप्रैल, 2024 और

मतगणना की तारीख 4 जून, 2024 तय की थी। जबकि दोनों विधानसभाओं का कार्यकाल 2 जून, 2024 को समाप्त होने वाला था। नियमों के अनुसार, निर्वाचन आयोग को विधानसभाओं के चुनाव उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले कराने होते हैं। इसे देखते हुए, आयोग ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभाओं के लिए आम चुनाव के कार्यक्रम में बदलाव किया था। 

मतगणना की तिथि 4 जून, 2024 थी जिसे बदलकर 2 जून, 2024 कर दिया गया। 6 जून, 2024 के पहले चुनाव प्रक्रिया पूरा होनी थी जिसे बदलकर 2 जून, 2024 कर दिया गया था। 

मिजोरम: 3 दिसंबर 2023 को मिजोरम समेत पांच राज्यों में विधानसभाओं के लिए वोटों की गिनती होनी थी। मतगणना शुरू होने में लगभग 36 घंटे पहले चुनावा आयोग ने तारीख में बदलाव की घोषणा की। मिजोरम विधानसभा के लिए मतों की गिनती एक दिन की देरी करते हुए इसे 4 दिसंबर, 2023 कर दिया गया था। उस वक्त चुनाव आयोग ने कहा था कि ईसाई बहुल राज्य में अधिकांश लोग रविवार की सुबह चर्च जाते हैं। रविवार का दिन मिजोरम के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसलिए मतगणना के लिए उपयुक्त नहीं है। 

पंजाब: 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव की तारीख 14 फरवरी तय की गई थी। इसके दो दिन बाद रविदास जयंती थी। पंजाब के काफी लोग रविदास जयंती मनाने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जाते हैं। राजनीतिक दलों के अनुरोध के बाद मतदान की तारीख बदलकर 20 फरवरी कर दी गई थी। 

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