पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि इस प्रक्रिया के कारण राज्य में कई बूथ स्तर के अधिकारियों और आम लोगों की मौतें हो चुकी हैं, जिनकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग को लेनी चाहिए।

टीएमसी ने आरोप लगाया कि आयोग राज्य में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहा है। पार्टी का दावा है कि अब तक SIR से जुड़े दबाव और अव्यवस्थाओं के चलते 34 लोगों की जान जा चुकी है।

इसी बीच नादिया जिले से एक और बूथ लेवल ऑफिसर द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना सामने आई है। इस घटना ने माहौल को और गर्म कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया कि आखिर SIR प्रक्रिया में और कितने बीएलओ अपनी जान गंवाएंगे।

सोशल मीडिया पर जारी बयान में ममता बनर्जी ने बताया कि कृष्णानगर में एक दिव्यांग महिला शिक्षिका, जो बीएलओ के रूप में तैनात थीं, ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को अपनी परेशानी का कारण बताया।
ममता ने लिखा, “अभी और कितनी ज़िंदगियाँ जाएँगी? और कितने परिवार बर्बाद होंगे? यह स्थिति बेहद गंभीर और चिंताजनक हो चुकी है।”

शनिवार को टीएमसी के वरिष्ठ नेता अरूप बिस्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य और पार्थ भौमिक इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से मिले और एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए अपनी चिंताएँ दर्ज कराईं।

अरूप बिस्वास ने आरोप लगाया कि आयोग जिस काम में सामान्य तौर पर दो साल लगते हैं, उसे सिर्फ दो महीने में पूरा कराने का दबाव बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कई बूथों में 150 से 200 मतदाताओं के नाम जानबूझकर सूचियों से हटा दिए गए हैं और आयोग की वेबसाइट पर भारी त्रुटियाँ पाई जा रही हैं। उनके अनुसार, इसी अव्यवस्था और दबाव के चलते लगातार जानें जा रही हैं।

टीएमसी नेताओं का कहना है कि बीएलओ को इस प्रक्रिया के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। भट्टाचार्य ने दावा किया कि बिना तैयारी के उन्हें भारी मानसिक दबाव में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनका जीवन जोखिम में पड़ रहा है।