‘हिंदू होना गुनाह है?’- बंगाल हिंसा में पीड़ित महिलाओं की भावुक पुकार

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा ने कई हिंदू परिवारों को सड़क पर ला दिया है. कई परिवार हैं जो अपना सब कुछ छोड़कर राहत कैंप में रहने के लिए मजबूर हैं. इन बेघर परिवारों से मिलने के लिए जो भी इनके पास जा रहा है, रोती- बिलखती महिलाएं एक ही सवाल कर रही हैं कि क्या हिंदू होना उनका अपराध है. शुक्रवार को जब बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस मुर्शिदाबाद दौरे पर पहुंचे थे तो वो जाफराबाद भी गए थे. यहां वो हिंसा प्रभावित परिवारों से मिले और उनसे बात की.

अपने बीच में राज्यपाल को देखकर महिलाओं को थोड़ी तसल्ली जरूरी हुई लेकिन वो अपने सवालों को पूछने से रोक नहीं पाईं. कहने लगीं हिंदू होना हमारा क्या अपराध है, हमें बचाओ! व्यथित महिलाओं ने राज्यपाल के पैर पकड़ लिए और उनसे बचाने की गुजारिश की. राज्यपाल भी खुद को नहीं रोक पाए. उन्होंने पीड़ित महिलाओं और परिवारों से कहा कि मुझे शांति बनाए रखने के लिए जो भी करना होगा, करूंगा.

हिंसा में जान गंवाने वालों के घर भी गए राज्यपाल

राज्यपाल ने हरगोविंद दास और चंदन दास के घर भी दौरा किया, जो उसी दिन जाफराबाद में हुई हिंसा में मारे गए थे. वह वहां गए और कुछ देर तक शोक संतप्त लोगों से बातचीत की. बोस ने उन्हें आश्वासन दिया. संयोगवश, एक दिन पहले ही इस क्षेत्र में शांति बैठक हुई थी. वहां सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों और विधायकों से क्षेत्र में एक स्थायी बीएसएफ शिविर स्थापित करने को कहा गया. क्षेत्र के निवासियों ने राज्यपाल के समक्ष फिर यही मांग करते नजर आए.

बीएसएफ कैंप को अपनी जमीन देने के लिए तैयार लोग

मुर्शिदाबाद के धुलियान के निवासी कह रहे हैं, अगर जरूरत पड़ी तो हम अपने घर बीएसएफ कैंप को दे देंगे. पिछले सप्ताह शुक्रवार को वक्फ कानून विरोधी आंदोलन के नाम पर हमले हुए और अंधाधुंध हिंसा हुई. उस हमले के निशान आज भी गांव के जले हुए घरों में मौजूद हैं. कई लोगों ने अपनी जमीन खो दी है. शनिवार को गांव की महिलाएं राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधियों को अपने सामने देखकर बेबस होकर रो पड़ीं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रतिनिधि शुक्रवार को मालदा शरणार्थी शिविर पहुंचे. कथित तौर पर उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई. इस आरोप के कारण शुक्रवार को पूरे दिन मालदा में तनावपूर्ण स्थिति बनी रही. इसके बाद आज यानी शनिवार को महिला आयोग की टीम मुर्शिदाबाद पहुंच कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. महिला आयोग के प्रतिनिधिमंडल के सामने हिंसा की कहानी बताते हुए महिलाएं फूट-फूट कर रोने लगी.

महिला आयोग के सदस्यों ने बधाया ढाढस

महिला आयोग के प्रतिनिधियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे केंद्र से सारी रिपोर्ट उपलब्ध करा देंगे और रिपोर्ट में बीएसएफ कैंप का भी जिक्र करेंगे. प्रतिनिधियों ने कहा कि हम आपके साथ खड़े हैं. केंद्र की सभी टीमों जमीन पर उतर चुकी हैं. पूरा देश आपके साथ है. चिंता न करें. मुर्शिदाबाद में हिंसा थम तो जरूर गई है, लेकिन लोगों के बीच दहशत अभी भी खत्म नहीं हुई है. महिलाओं की आंखों में डर साफ नजर आ रहा है.

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