इसरो प्रमुख बोले: रॉकेट में हो रहा 95 फीसदी स्वदेशी सामग्री का उपयोग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि देश में रॉकेट में इस्तेमाल होने वाली लगभग 95 फीसदी सामग्री, उपकरण और प्रणालियां स्वदेशी होती हैं। केवल पांच फीसदी, वो भी मुख्यरूप से उच्च स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ही दूसरे देशों से मंगाए जाते हैं।

मंगलवार को यहां वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 82वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख ने यह भी कहा कि पूरे अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो की विशेषज्ञता है। रॉकेट और उपग्रह विकास और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों समेत सभी तकनीक कार्य घरेलू स्तर पर ही किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, रक्षा प्रयोगशालाओं और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं समेत विभिन्न भारतीय प्रयोगशालाओं के सहयोग का परिणाम है। इसमें सामग्री के स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिक क्षमताओं और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के स्वदेशीकरण में भी महत्वपूर्ण उपलब्धि
सोमनाथ ने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में स्वदेशीकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें भारत में निर्मित रॉकेट और मुख्य कंप्यूटर चिप्स के लिए प्रोसेर जैसे महत्वपूर्ण घटकों का डिजाइन और निर्माण शामिल है। उन्होंने कहा, इसके अलावा इसरो ने इलेट्रोमेकेनिकल एक्यूरेटर, डीसी पॉवर सप्लाई सिस्टम, बैटरी सिस्टम और सोलर सेल जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों का विकास देश में ही किया है।

12 युवा वैज्ञानिकों को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार
इस मौके पर 12 युवा वैज्ञानिकों को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इनमें कोलकाता स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी के प्रतिरक्षाविज्ञानी दीप्यमान गांगुली, चंगीगढ़ स्थित सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के सूक्ष्मजीव विज्ञानी अश्विनी कुमार, हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग डायग्नोस्टिक्स के जीवविज्ञानी मदिका सुब्बा रेड्डी, भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू के अक्कट्टू टी बीजू और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के देबब्रत मैती शामिल हैं।

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