विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर दो दिवसीय रूस दौरे पर हैं। मंगलवार को मॉस्को में उनकी मुलाकात अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव से हुई। दोनों नेताओं ने आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
इस दौरान जयशंकर ने कहा, इस साल हम पांचवीं बार मिल रहे हैं और यह लंबी अवधि की साझेदारी एक-दूसरे को जो महत्व देती हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे यहां आकर खुशी हुई है। ये संवाद आगे भी जारी रहेगा। जयशंकर और लावरोव फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से चार बार मिल चुके हैं। जयशंकर ने आगे कहा, हमारी सरकारें विभिन्न स्तरों पर निरंतर संपर्क में हैं।
जयशंकर ने कहा, जैसाकि समरकंद में प्ऱदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से कहा ता कि यह युद्ध का समय नहीं है। हम यूक्रेन युद्ध के परिणाम देख रहे हैं। भारत ने बातचीत पर वापस लौटने की सलाह दी।
उन्होंने आगे कहा, यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों को हम अब देख रहे हैं। आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन सालभर चलने वाले मुद्दे भी हैं, दोनों का प्रगति और स्मृद्धि पर भारी प्रभाव पड़ता है। विदेश मंत्री आगे कहा, हमारी वार्ता समग्र वैश्विक स्थिति के साथ-साथ क्षेत्रीय चिंताओं को भी संबोधित करेगी। एक बहुध्रुवीय और असंतुलित दुनिया (मल्टीपोलार वर्ल्ड) में भारत और रूस एक दूसरे जुड़े हुए हैं। हमारे बीच संबंध असाधारण रहे हैं।
वहीं, लावरोव ने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिन बदलावों से गुजर रहा है, उसके साथ ही हमारे लिए इसका आकलन करना जरूरी है कि हम अर्थव्यवस्था, व्यापार, निवेश, तकनीकी क्षेत्र में भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों पर कैसे काम करने जा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी कार्रवाई को साझा करते हैं, जिसका भारत अभी तक एक अस्थायी सदस्य है.. जो हमारे एजेंडे को मजबूत कर रहा है। मुझे भरोसा है कि आज हम इन सब मुद्दों को लेकर अच्छी बातचीत करने जा रहे हैं।
वहीं, युद्ध शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रूसी समकक्ष व्लादिमिर पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कई बार बात कर चुके हैं।
4 अक्तूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की के साथ फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान मोदी ने कहा था कि समस्या का कोई भी सैन्य समाधान नहीं हो सकता। भारत किसी भी तरह के शांति के प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है।
इसी साल उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में 16 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, आज का युग युद्ध का नहीं है।
यूक्रेन युद्ध के करीब नौ महीने गुजरने के बाद भी भारत ने अभी तक आधिकारिक तौर पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है। भारत का मानना है कि संकट को ‘डायलॉग’ और ‘डिप्लोमेसी’ के जरिए हल किया जाना चाहिए।