मणिपुर पिछले कई दिनों तक जला। लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे। किनते ही घर उजड़ गए और कितने ही लोग मारे गए। अब इसके पुख्ता सबूत मिल रहे हैं कि इस साजिश के पीछे सीमा पार म्यांमार में बैठे विद्रोही संगठन हैं। मणिपुर को जलाने की इसकी साजिश सीमा पार से विद्रोही गुटों ने सीमा के अंदर सरेंडर कर चुके कुछ अपने साथियों के माध्यम से रची।

इसमें सबसे ऊपर कुकी विद्रोही गुटों का नाम आ रहा है। वे काफी समय से ताक में थे, और मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने का बहाना उनको मिल गया। ये भी जानकारी मिल रही है कि विद्रोही गुटों के सदस्य भी आम जनता में घुस गए हैं, जिसके चलते सेना और सुरक्षाबलों को मणिपुर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, पूर्वोत्तर के सभी राज्यों सतर्क कर दिया है, जहां कुकी विद्रोहियों का वर्चस्व है।

म्यामांर सीमा के पास वाले जिलों में अधिक हिंसा
मणिपुर, म्यांमार के सागैंग और चिन क्षेत्रों के साथ 398 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। मणिपुर के पांच जिले चंदेल, टेंग्नौपाल, कामजोंग, उखरूल और चुरचंदपुर म्यांमार की सीमा के साथ लगते हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे ज्यादा हिंसा इन जिलों में ही हुई। ये तस्वीर यह साफ करती है कि आग भड़काने में सीमा पार से स्थानीय लोगों को मदद मिली। सूत्रों की मानें तो सीमा पार कुकी जैसे कई विद्रोही संगठनों के कैंप हैं।

विद्रोहियों को मिला सरेंडर कर चुके विद्रोहियों का साथ
सूत्रों की माने तो अब यह लगभग साफ हो चुका है कि इस हिंसा के पीछे विद्रोही संगठन का हाथ है। विद्रोहियों को सरेंडर कर चुके हैं कुछ पूर्व विद्रोहियों का साथ मिला। इसके चलते पहाड़ी जिलों में स्थिति अभी पूरी तरह से काबू में नहीं आ पाई है। सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।

आम जनता में घुस गए हैं विद्रोही
सूत्रों की माने तो पहाड़ी जिलों में आम जनता के बीच विद्रोही घुस गए हैं। इसलिए सेना और सुरक्षाबलों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कल भी चुराचांदपुर में सेना को फायरिंग करनी पड़ी थी। दो लोग घायल बताए जा रहे हैं। पहाड़ी जिलों में रह-रह कर विरोध की चिंगारी उठ रही है। इंफाल में शनिवार से शांति लौटने लगी लेकिन पहाड़ी जिलों में अभी भी एक तरह का तनाव बना हुआ है।

पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को किया गया सतर्क
इस बीच, जानकारी मिली है कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को केंद्र की ओर से सतर्क कर दिया गया है। अन्य राज्य में जहां कुकी विद्रोहियों का वर्चस्व है, वहां इस तरह की घटनाएं हो सकती हैं। इस तरह की जानकारी मिल रही है कि कुकी विद्रोही गुट अन्य राज्य में भी हिंसा भड़काने की साजिश कर सकते हैं। क्योंकि पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कुकी समुदाय के लोग रहते हैं।