दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाया गया अविश्वास प्रस्ताव तकनीकी कारणों के चलते गुरुवार को खारिज कर दिया गया। इसके पीछे जो सबसे अहम कारण बताया गया है, वह यह था कि इसे पेश करने के लिए निर्धारित 14 दिनों का नोटिस नहीं दिया गया है, जो इस प्रस्ताव के लिए अनिवार्य है।
दूसरा कारण बताया गया कि प्रस्ताव में सभापति का नाम भी ठीक तरह से नहीं लिखा गया था। इस प्रस्ताव के खारिज होने को विपक्ष के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्ष इस मुद्दे पर काफी आक्रामक था। साथ ही इसमें सभापति के खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए थे।
सभी पहलूओं को जानने के बाद लिया फैसला
सभापति धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला उपसभापति हरिवंश ने उसके सभी पहलू को जाने के बाद लिया है। उपसभापति ने अपने फैसले में कहा कि यह नोटिस विपक्ष का गलत कदम है, जिसमें बहुत खामियां हैं। इसे सिर्फ सभापति की छवि को खराब करने के मकसद से लाया गया है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से महाभियोग का यह नोटिस देश के संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने व वर्तमान उपराष्ट्रपति की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य ले लिया गया था। उपसभापति के इस फैसले की जानकारी राज्यसभा के महासचिव ने सदन को दी।
गुरुवार को पेश हुआ प्रस्ताव
गौरतलब है कि सभापति धनखड़ के खिलाफ विपक्ष की ओर से यह अविश्वास प्रस्ताव संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दस दिसंबर को लाया गया था। इसे लेकर सदन में जमकर हंगामा भी हुआ। सदन की कार्यवाही भी कई दिन तक बाधित रही। इस प्रस्ताव को राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने गुरुवार को सदन में पेश किया, जिसे उपसभापति हरिवंश ने तुरंत ही खारिज कर दिया।