असम में एनआरसी नहीं तो आधार कार्ड नहीं: सीएम हिमंत

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के आधार कार्ड के आवेदन को लेकर राज्य में नए नियम लागू करने का संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने भरपूर समर्थन किया है। नए नियम के तहत जिन लोगों ने एनआरसी में शामिल करने के लिए आवेदन नहीं किया है, उनके आधार कार्ड के आवेदन रद कर दिए जाएंगे।

इस फैसले की आलोचना करते हुए विपक्षी दलों ने असम को अविकसित राज्य करार दिया है। जेपीसी अध्यक्ष और भाजपा नेता जगदंबिका पाल ने गुरुवार को कहा कि यह राज्य का अधिकार है कि वह ऐसे निर्णय ले। उन्होंने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हर किसी को कम से कम अपना एनआरसी करा लेना चाहिए, क्योंकि यही असम में भारतीय नागरिकता की पहचान का आधार है।

आप पर लगाया रोहिंग्याओं को बसाने का आरोप 

उन्होंने कहा कि असम सरकार यह प्रयास कर रही है कि इस प्रक्रिया में केवल वैध निवासी ही शामिल हों। उन्होंने आम आदमी पार्टी के भाजपा पर दिल्ली में रोहिंग्याओं को बसाने के आरोप पर कहा कि हम क्यों चाहेंगे कि कोई अवैध तरीके से हमारी संपत्तियों पर कब्जा कर ले। असम की कैबिनेट ने विगत बुधवार को आधार कार्ड को एनआरसी से जोड़ते हुए कहा कि था कि जिन लोगों ने अब तक एनआरसी में आवेदन नहीं किया है, उन्हें अब आधार कार्ड नहीं मिलेगा।

आधार के आवेदन को तत्काल रद करके इसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रेस कॉफ्रेंस में बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य बांग्लादेश से घुसपैठ की चिंताओं को दूर करना है। हमने आधार कार्ड प्रणाली को सख्त बनाने का फैसला किया है।

विपक्ष ने किया फैसले का विरोध

विपक्षी दल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने असम सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि एनआरसी आवेदन की पूर्व शर्त आधार कार्ड होने के फैसले ने असम को ‘बनाना रिपब्लिक’ (अविकसित राज्य) बना दिया है। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि असम में फर्जी लाभार्थियों की समस्या बड़ी है। राज्यसभा में तृणमूल सदस्य सुष्मिता देव ने कहा कि अब तक एनआरसी को अधिसूचित नहीं किया गया है, लेकिन उसके आधार पर आधार कार्ड में रुकावट डाली जा रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here