20 करोड़ में से सिर्फ 99 लाख, पूरे देश में अभी लगे 4.89% स्मार्ट मीटर

देश में बिजली आपूर्ति को और बेहतर बनाने के लिए सरकार कई योजनाओं को लाती है. इसी में एक योजना सरकार लाई थी बिजली स्मार्ट मीटर की. केंद्र सरकार ने Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) के तहत 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था. हालांकि, इस योजना पर उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हो पाया. आंकड़ों की माने तो 20.33 करोड़ में से सरकार अब तक केवल 99.51 लाख ही मीटर लगा पाई है. यानी सिर्फ 4.89% स्मार्ट मीटर ही लगाए जा सके हैं.

यह जानकारी राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बिजली राज्य मंत्री श्रीपाद नाइक ने दी. उन्होंने कहा कि सरकार इस परियोजना की प्रगति पर लगातार निगरानी रख रही है और स्मार्ट मीटर सेवा प्रदाताओं (AMISP) तथा वितरण कंपनियों (DISCOMs) के बीच आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए कदम उठा रही है.

स्मार्ट मीटर लगाने की क्यों हो रही देरी

सरकार ने इस योजना को स्पीड देने के लिए लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन कई वजहों से स्मार्ट मीटर लगाने की रफ्तार धीमी रही है. बिजली मंत्रालय के अनुसार, योजना में देरी के पीछे प्रमुख कारण हैं. आइए उनपर नजर डालते हैं.

नया कॉन्सेप्ट होने के कारण देरी…स्मार्ट मीटरिंग की अवधारणा देश में नई है. राज्यों और वितरण कंपनियों (DISCOMs) को इसे अपनाने में समय लग रहा है.
टेंडरिंग देने में की हुई देरी…राज्यों को टेंडर जारी करने और वित्तीय प्रक्रियाओं को पूरा करने में अधिक समय लग गया.
डायरेक्ट डेबिट की सुविधा…स्मार्ट मीटर के बिल भुगतान के लिए आवश्यक डायरेक्ट डेबिट (Direct Debit) सुविधा को लागू करने में समय लगा.
डेटा संग्रह और उपभोक्ता इंडेक्सिंग…स्मार्ट मीटर लगाने से पहले उपभोक्ता डेटा को व्यवस्थित करना आवश्यक होता है, जिसे पूरा करने में देरी हो रही है.

स्मार्ट मीटर लगाने की क्यों हो रही देरी

सरकार ने इस योजना को स्पीड देने के लिए लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन कई वजहों से स्मार्ट मीटर लगाने की रफ्तार धीमी रही है. बिजली मंत्रालय के अनुसार, योजना में देरी के पीछे प्रमुख कारण हैं. आइए उनपर नजर डालते हैं.

स्मार्ट मीटर के फील्ड इंस्टॉलेशन और इंटीग्रेशन टेस्ट, फैक्ट्री एक्सेप्टेंस टेस्ट जैसी प्रक्रियाएं समय लेने वाली होती हैं.

सुधार के लिए उठाए जा रहे ये कदम

सरकार ने स्पष्ट किया कि स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य 31 मार्च 2026 तक पूरा किया जाएगा. इस दौरान सरकार ने यह भी माना कि कुछ राज्य स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया में पीछे चल रहे हैं. हालांकि, इन राज्यों में योजना को गति देने के लिए पहले बताए गए कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि टोटेक्स (TOTEX) मॉडल के तहत स्मार्ट मीटरिंग को लागू किया जा रहा है, जिससे डिस्कॉम्स को कोई अग्रिम पूंजी खर्च नहीं करना पड़ेगा. यह योजना स्व-वित्तपोषित होगी, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा.

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