दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने रविवार को भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि लंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए एक ठोस योजना बनाई गई है।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तीन मुख्य चरण हैं। जिसमें पहले चरण में जिला स्तर पर मामलों के प्रबंधन के लिए समितियों का गठन किया जाएगा। ये समितियां लंबित मामलों और रिकॉर्ड की स्थिति की जांच करेंगी। दूसरे चरण में, उन मामलों का निपटारा किया जाएगा जो 10 से 30 वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं। तीसरे चरण में, जनवरी 2025 से जून 2025 तक दस वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों की सुनवाई की जाएगी। इसके लिए विभिन्न तकनीकी और डाटा प्रबंधन प्रणालियों की जरूरत होगी।लंबित मामलों से निपटने के अन्य उपायों में विवादों का समाधान करने की पहल भी शामिल है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की, जिसमें 1,000 से ज्यादा मामलों का समाधान किया गया। 

मुख्य न्यायाधीश ने आगे यह भी कहा, हमें यह स्थिति बदलनी होगी कि हमारे जिला न्यायालयों में केवल 6.7 फीसदी इन्फ्रास्ट्रक्चर ही महिलाओं के अनुकूल है। आज के समय में जब कुछ राज्यों में भर्ती में 60 फीसदी से 70 फीसदी महिलाएं हैं, तो क्या यह स्वीकार्य है? हमारी प्राथमिकता है कि न्यायालयों तक पहुंच को बढ़ाया जाए। इसके लिए हम इन्फ्रास्ट्रक्चर का ऑडिट करेंगे, कोर्ट में मेडिकल सुविधाएं आदि स्थापित करेंगे और ई-सेवा केंद्र व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग उपकरणों का उपयोग बढ़ाएंगे। इन प्रयासों का मकसद न्याय तक सभी की पहुंच को आसान बनाना है। 

उन्होंने कहा, इसके साथ ही हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारे न्यायालय समाज के सभी लोगों के लिए सुरक्षित और अनुकूल हों, खासतौर पर महिलाओं, दिव्यांगों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य संवेदनशील समूहों के लिए।

बदलनी होगी तारीख पर तारीख की पुरानी संस्कृति: कानून मंत्री
वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ हमारे लिए गर्व का विषय है। आज, न्यायपालिका में विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले सभी महान लोगों का एक ही लक्ष्य है- विकसित भारत का निर्माण। उन्होंने आगे कहा, एक अच्छी न्याय प्रणाली का होना जरूरी है, ताकि नागरिक अपनी पूरी क्षमता से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में जिला न्यायपालिका के सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। 

उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि सम्मेलन में दिए गए सुझावों को अपनाने से न्यायिक बिरादरी को मदद मिलेगी और नागरिकों के लिए न्याय की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तारीख पर तारीख की पुरानी संस्कृति को बदलने का संकल्प लें।