ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मध्य प्रदेश में तीन तलाक, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और पसमांदा मुसलमानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी की आलोचना की और पूछा कि उन्हें पाकिस्तान से प्रेरणा क्यों मिल रही है।

पीएम मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता के बारे में बात करने का जिक्र करते हुए, ओवैसी ने पूछा कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को 'छीन' लिया जाएगा। पीएम मोदी ने आज भोपाल में एक बैठक के दौरान पूछा कि मिस्र में अस्सी-नब्बे साल पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया गया था। अगर यह जरूरी है तो पाकिस्तान, कतर और अन्य मुस्लिम बहुल देशों में इसे क्यों समाप्त किया गया। 

ओवैसी ने कहा कि राजग सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया लेकिन जमीनी स्तर पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, पाकिस्तान का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि वहां तीन तलाक पर प्रतिबंध है। मोदी जी को पाकिस्तानी कानून से प्रेरणा क्यों मिल रही है? उन्होंने यहां तक कि उन्होंने यहां तीन तलाक के खिलाफ कानून भी बनाया, लेकिन जमीनी स्तर पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। बल्कि महिलाओं का शोषण और बढ़ गया है। हम हमेशा से मांग करते रहे हैं कि सामाजिक सुधार कानूनों के माध्यम से नहीं होगा। अगर कानून बनाना ही है तो उन पुरुषों के खिलाफ बनाया जाना चाहिए जो अपनी शादी से भाग जाते हैं।
 

ओवैसी ने ट्वीट में आरोप लगाया कि एक तरफ प्रधानमंत्री पसमांदा मुसलमानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं और दूसरी तरफ उनके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं, उनकी आजीविका छीन रहे हैं, उनके घरों पर बुलडोजर चला रहे हैं और उन्हें पीट-पीटकर मार रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण का विरोध करते हुए राजग सरकार ने गरीब मुसलमानों की छात्रवृत्ति रोक दी है। 
 

उन्होंने कहा, 'अगर पसमांदा मुसलमानों का शोषण हो रहा है तो मोदी इस बारे में क्या कर रहे हैं? पसमांदा मुसलमानों से वोट मांगने से पहले, भाजपा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाना चाहिए और माफी मांगनी चाहिए कि उनके प्रवक्ताओं और विधायकों ने हमारे प्रिय पैगंबर का अपमान करने की कोशिश की।' 'पसमांदा' मुसलमानों में पिछड़े वर्गों के लिए एक शब्द है।