सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर सोमवार को हुए हमले की कोशिश के बाद विपक्षी दलों ने इसे कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह हमला केवल न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि संविधान पर भी हमला है। सोनिया ने कहा, “इस हमले की निंदा करने के लिए कोई शब्द पर्याप्त नहीं। मुख्य न्यायाधीश गवई ने हमेशा न्याय के सिद्धांतों का पालन किया है और पूरे देश को उनके साथ एकजुट रहना चाहिए।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे शर्मनाक और घृणित कृत्य बताते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि समाज में नफरत और कट्टरता कितनी गहरी हो गई है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की सुरक्षा सर्वोपरि है और धमकी नहीं, न्याय और तर्क की जीत होनी चाहिए।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने घटना की निंदा करते हुए इसे संघ परिवार की ओर से फैलाई जा रही नफरत का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि इसे केवल व्यक्तिगत कृत्य मानकर खारिज करना असहिष्णुता के बढ़ते माहौल की अनदेखी होगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने भी इसे न्यायपालिका और संविधान पर गंभीर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पर हमला करना हमारे लोकतंत्र, संविधान और राष्ट्र का अपमान है।”
क्या है मामला
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि, जूता न्यायाधीश तक नहीं पहुंचा। वकील ने कोर्ट डाइस की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उन्हें रोक लिया और कोर्ट रूम से बाहर ले गए। इस दौरान राकेश किशोर ने कहा, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।” सूत्रों के अनुसार, यह नाराजगी सीजेआई की हाल की भगवान विष्णु की मूर्ति पुनर्स्थापना पर टिप्पणी से जुड़ी थी।
इस घटना के बाद देशभर में न्यायपालिका की सुरक्षा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की जा रही है।