तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोयंबटूर और मदुरै में मेट्रो रेल परियोजना के प्रस्ताव पर त्वरित निर्णय लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने पत्र में कहा कि आवश्यकता पड़ने पर वे दिल्ली आकर केंद्र को विस्तार से जानकारी देने के लिए तैयार हैं।
यह कदम तब उठाया गया जब हाउसिंग मंत्रालय ने मेट्रो प्रस्ताव को कुछ कमियों का हवाला देते हुए वापस कर दिया। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया।
सीएम स्टालिन ने अपने पत्र में लिखा कि मंत्रालय का यह निर्णय उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव इसलिए खारिज किया गया क्योंकि मेट्रो रेल नीति 2017 के तहत शहर की आबादी 20 लाख से अधिक होना आवश्यक है। उन्होंने दावा किया कि कोयंबटूर का LPA क्षेत्र 2011 में ही 20 लाख से ऊपर पहुंच चुका था, जबकि मदुरै की आबादी भी इस मानक के करीब है। उनका कहना था कि यदि यह मानक सभी शहरों पर लागू होता तो आगरा, इंदौर और पटना जैसे कई टियर-2 शहरों में मेट्रो निर्माण संभव नहीं होता।
स्टालिन ने पत्र में यह भी लिखा कि इस चयनित मानक के कारण राज्य के शहरों के साथ भेदभाव हो रहा है और केंद्र को इन शहरों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने मंत्रालय द्वारा उठाई गई आपत्तियों का विस्तृत जवाब देने का आश्वासन भी दिया और अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
वहीं, BJP ने इस मुद्दे पर पलटवार किया है। केंद्रीय नेतृत्व का कहना है कि DMK इस विषय पर राजनीति कर रही है और राज्य सरकार ने गलत DPR प्रस्तुत किया, जिससे भ्रम उत्पन्न हुआ। DMK ने कोयंबटूर और मदुरै में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया।