कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार सरकार को घेर रहे हैं. सोमवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के युवाओं, किसानों और गरीबों को अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसा दिया है. सत्ता पक्ष चक्रव्यूह बनाता है, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष उस चक्रव्यूह को तोड़ता है. उन्होंने दावा किया है कि 21वीं सदी में एक और चक्रव्यूह तैयार किया गया है, जो अभिमन्यु के साथ हुआ, वही हिंदुस्तान के साथ किया जा रहा है. हजारों साल पहले छह लोगों ने अभिमन्यु को चक्रव्यूह में घेर कर मारा था. आज भी चक्रव्यूह को कंट्रोल करने वाले छह लोग हैं.

चार राज्यों में विधानसभा चुनाव और यूपी में उपचुनाव से पहले राहुल गांधी संसद में ओबीसी और अग्निवीर का मुद्दा उठाते हुए नजर आए. राहुल गांधी ने अपने आरोपों को दोहराया कि सरकार ओबीसी और आदिवासियों के साथ अनदेखी कर रही है. सरकार में ओबीसी और आदिवासियों को तरजीह नहीं दी जा रही है. इसके साथ-साथ एमएसपी के जरिए किसानों को भी साधते दिखे. राहुल ने कहा कि सरकार को बजट में किसानों के लिए प्रावधान करना चाहिए था, लेकिन नहीं किया.

किसानों को लेकर खेला बड़ा दांव

सड़क से लेकर संसद तक राहुल गांधी किसानों का मुद्दा उठाते हुए नजर आए हैं. राहुल गांधी यह बखूबी जानते हैं किसानों के भीतर सरकार को लेकर नाराजगी है. बड़ा आंदोलन करने के बाद भी सरकार एमएसपी को लेकर अभी तक कानून नहीं बना पाई है. राहुल ने संसद में एमएसपी का मुद्दा उछाल कर हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चला है. हरियाणा में किसानों की संख्या 16 लाख से अधिक है. ऐसे में माना जा रहा है कि राहुल संसद के जरिए हरियाणा के किसानों को भी साधते हुए नजर आए हैं. किसानों का कोई जाति-धर्म नहीं होता है. किसानों से जुड़े मुद्दों के जरिए राजनीतिक पार्टियां उनके बीच जगह बनाने की कोशिश करती हैं.

ऐसे में राहुल गांधी किसानों के मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों का जो आंदोलन हुआ था उसमें पंजाब के साथ-साथ हरियाणा के किसान भी शामिल थे. संसद में कांग्रेस नेता ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी इतना बड़ा काम नहीं है. बजट में अगर इसका प्रावधान कर दिया जाता तो किसान सरकार के चक्रव्यूह से निकल जाते. नेता प्रतिपक्ष ने यहां तक कह दिया है कि इंडिया गठबंधन किसानों को उनका हक दिलाकर रहेगा. हम किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देंगे.

अग्निवीरों के जरिए नौजवानों को साधने की कोशिश

राहुल गांधी ने संसद में अग्निवीर का मुद्दा भी उठाया. कहा कि सेना के जवानों को अग्निपथ के चक्रव्यूह में फंसा दिया गया है. बजट में अग्निवीरों को पेंशन के लिए एक रुपया नहीं दिया गया. रक्षा मंत्री ने पहले भी कहा था कि एक शहीद अग्निवीर के परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया, लेकिन उनकी बात गलत थी. राहुल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड समेत चार राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी अग्निवीर के मुद्दे को भी जिंदा रखना चाह रहे हैं. राहुल को यह बात पता है कि चुनाव में नौजवान क्या भूमिका निभा सकते हैं. हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में यह देखने को भी मिला.

हरियाणा में बड़े स्तर युवा सेना की तैयारी करते हैं. ऐसे में राहुल गांधी अग्निवीर योजना के जरिए उन युवाओं को भी साधने का काम कर रहे हैं. राहुल भी यह जानते हैं कि चुनाव युवाओं की भागीदारी कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा की 10 में से 5 सीटों पर कब्जा किया है जबकि पिछले चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला था. राज्य में कांग्रेस के वोट में 15.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी देखने को मिली है.

ओबीसी और आदिवासी मुद्दा भी साथ रखा है

संसद में राहुल गांधी ओबीसी और आदिवासियों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने दावा किया कि 20 अफसरों ने देश का बजट बनाने का काम किया, लेकिन इसमें सिर्फ एक ओबीसी और अल्पसंख्यक अधिकारी थे. दलित और आदिवासी तो एक भी नहीं थे. कही न कहीं राहुल गांधी भी इस बात को जानते हैं कि आगामी विधानसभा में ओबीसी, दलित और आदिवासी बड़ी भूमिका निभाएंगे. इसलिए वो इस मुद्दों को छोड़ नहीं रहे हैं. देश में जनसंख्या के लिहाज से देखें तो सबसे ज्यादा दबदबा अन्य पिछड़ा वर्ग का है. इसकी आबादी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इस बार के चुनाव में ओबीसी वोटर का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ नजर आया.

झारखंड में बड़े पैमाने पर आदिवासी वोटर निवास करते हैं. ऐसे में राहुल गांधी संसद के जरिए झारखंड में आदिवासी वोटरों को भी साधते हुए दिखे. झारखंड विधानसभा चुनाव में स्थानीय पार्टियों का ही दबदबा रहा है. मौजूदा वक्त में इंडिया गठबंधन में शामिल झामुमो सरकार में है और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. झारखंड में सत्ता की चाबी महतो यानी कुर्मी और मांझी मतदाताओं को पास होती है. माना जाता है कि ये जिधर जाएंगे सरकार उसी की बनती है. राज्य में इन दोनों समुदाय की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है. राज्य में आदिवासी वोटरों की संख्या 27 फीसदी से अधिक है तो कुर्मी 25 फीसदी के आसपास हैं.

संविधान के जरिए ओबीसी-दलित और पिछड़ों पर नजर

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में ‘संविधान बचाओ’ एक अहम मुद्दा था. विपक्ष दावा करता रहा कि केंद्र में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनी तो वो संविधान में बदलाव कर सकती है और देश के दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों समेत अन्य जातियों को मिले आरक्षण को खत्म कर सकती है. इसका असर ये हुआ है कि 2019 में 300 पार सीट हासिल करने वाली बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के वोट बैंक में इजाफा देखने को मिला है. पिछले चुनाव में 50 से भी कम सीटें पाने वाली कांग्रेस 99 पर पहुंच गई.

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में सत्ताधारी दल को तगड़ा झटका लगा. बीजेपी को यहां 29 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा. इसी तरह से महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान कांग्रेस को संविधान के मुद्दे का लाभ मिला. महाराष्ट्र में कांग्रेस वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई तो राजस्थान में कांग्रेस 8 सीट जीतने में सफल रही. इस तरह से राहुल गांधी सरकार के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए हर मौकों पर किसान, नौजवान, ओबीसी और संविधान का मुद्दा उठाते नजर आ रहे हैं.