सुप्रीम कोर्ट में दो नए जज शामिल, कुल संख्या फिर हुई 34

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ (शायद आपने नाम गलत लिखा था, CJI अभी बी.आर. गवई नहीं बल्कि डी.वाई. चंद्रचूड़ हैं; यदि आप विशेष संदर्भ में बी.आर. गवई लिखना चाहते हैं तो वैसा ही रख सकते हैं) ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। दोनों की नियुक्ति 27 अगस्त को हुई थी। इनके शामिल होने के बाद शीर्ष अदालत में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 34 न्यायाधीशों की पूरी संख्या बहाल हो गई है। माना जा रहा है कि न्यायमूर्ति पंचोली अक्तूबर 2031 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाल सकते हैं और मई 2033 में सेवानिवृत्त होंगे।

कॉलेजियम में असहमति का विवाद
इन नियुक्तियों से पहले 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दोनों नामों की सिफारिश केंद्र को भेजी थी। हालांकि, कॉलेजियम सदस्य और शीर्ष अदालत की एकमात्र महिला न्यायाधीश बी.वी. नागरत्ना ने न्यायमूर्ति पंचोली की पदोन्नति पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह नियुक्ति न्यायपालिका के लिए प्रतिकूल हो सकती है और इससे कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता पर असर पड़ने का खतरा है।

न्यायमूर्ति आलोक अराधे का सफर
13 अप्रैल 1964 को जन्मे जस्टिस आलोक अराधे ने 1988 में वकालत शुरू की। उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दीवानी, संवैधानिक, मध्यस्थता और कंपनी कानून से जुड़े मामलों में प्रैक्टिस की। 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त हुए। दिसंबर 2009 में उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश और 2011 में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। बाद में वे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में नियुक्त हुए। जुलाई 2023 में उन्हें तेलंगाना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और जनवरी 2025 में बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला।

न्यायमूर्ति विपुल मनुभाई पंचोली की पृष्ठभूमि
28 मई 1968 को अहमदाबाद में जन्मे जस्टिस पंचोली ने 1991 में वकालत शुरू की। वे गुजरात हाईकोर्ट में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक भी रहे। 2014 में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 2016 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। जुलाई 2023 में वे पटना हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए और 2025 में मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। वकालत के साथ उन्होंने करीब दो दशक तक अहमदाबाद के एलए शाह लॉ कॉलेज में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में भी योगदान दिया।

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