किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी को लेकर सरकार की ओर से गठित कमेटी को खारिज कर दिया है। मोर्चे के लीडर अभिमन्यु कोहर ने कहा कि इस कमेटी में कथित किसान नेताओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि यह कमेटी इस एमएसपी के मसले पर काम नहीं कर सकती है और हम इसे खारिज करते हैं। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को ही एमएसपी पर सिफारिशों के लिए एक कमेटी का गठन किया था।
8 महीने बाद गठित हुई थी कमेटी, पर फिर टकराव के हालात
यह कमेटी एक साल से ज्यादा लंबे समय तक चले किसान आंदोलन की समाप्ति के 8 महीने बाद गठित की गई थी। इस कमेटी का चेयरमैन पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया है। इसके अलावा इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के तीन सदस्यों को भी शामिल किए जाने की बात थी। किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा, ‘आज हमने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर-राजनीतिक नेताओं की मीटिंग की थी। सभी नेताओं ने सरकारी पैनल को खारिज कर दिया है। सरकार ने उन कथित किसान नेताओं को इसमें शामिल किया है, जिनका एक साल से ज्यादा समय तक चले हमारे आंदोलन से कोई संबंध नहीं था।’
कॉरपोरेट समर्थक लोगों को शामिल करने का लगाया आरोप
यही नहीं कोहर ने कहा कि इस कमेटी में सरकार ने कुछ कॉरपोरेट सदस्यों को भी शामिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से इस फैसले को लेकर शाम तक विस्तार से बयान जारी किया जाएगा। पिछले साल नवंबर में किसानों ने एक साल से ज्यादा वक्त तक चले आंदोलन को वापस ले लिया था। इसी दौरान सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून की मांग पर एक समिति गठित करने का वादा किया था। इसी पर अमल करते हुए सोमवार को समिति के गठन का ऐलान किया गया था। कृषि मंत्रालय की ओर से सोमवार को नोटिफिकेशन जारी करके समिति के गठन की जानकारी दी गई थी।
समिति के 26 सदस्यों में एक्सपर्ट और सरकारी अधिकारी भी शामिल
इस पैनल में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, आर्थिक और कृषि मामलों के जानकार सीएससी शेखर, आईआईएम अहमदाबाद के एक्सपर्ट सुखपाल सिंह, नवीन पी. सिंह समेत कई लोगों को शामिल किया गया है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भारत भूषण त्यागी, किसान मोर्चे के तीन सदस्य और अन्य किसान संगठनों के 5 नेताओं गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुणि प्रकाश और सैयद पाशा पटेल को भी समिति में जगह दी गई है। कुल 26 सदस्यों की समिति में किसान सहकारी संगठनों के दो लोगों को भी जगह दी गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार के विभागों के 5 सचिवों और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिवों को भी कमिटी का सदस्य बनाया गया है।