जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद से देशभर में इस मामले पर गहन चर्चा हो रही है। चर्चा तब और तेज हुई जब उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर कर उनकी तुरंत रिहाई की मांग की और गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार दिया।

एएनआई से बातचीत में गीतांजलि ने कहा कि उन्होंने पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पति देश के लिए कोई खतरा नहीं हैं, फिर भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

वांगचुक को लद्दाख में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। यह गिरफ्तारी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई, जिनमें चार लोग मारे गए और 90 घायल हुए। वर्तमान में वे जोधपुर जेल में बंद हैं।

गीतांजलि ने न्यायिक मदद न मिलने की बात भी कही और दावा किया कि दिल्ली में उन्हें लगातार निगरानी में रखा जा रहा है। साथ ही, जिन स्टाफ के साथ वे काम कर रही थीं, उन्हें हिरासत में लिया गया और उनके साथ शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार किया गया।

गीतांजलि ने पूरे देश से अपील की कि यह मामला केवल सोनम वांगचुक का नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था में आम लोगों की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अगर देश के सामने खड़े और समाज में सम्मानित व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता, तो आम नागरिक को क्या उम्मीद हो सकती है।