कश्मीर:सेब के बाग लगाने के लिए सब्सिडी देगी सरकार

मौसम की मार से बेहाल कश्मीर के बागवानों को अब विदेशी प्रजाति के सेब के पौधे मालामाल करेंगे। घाटी के मौसम में कुछ वर्षों से बदलाव देखा जा रहा है। अक्टूबर-नवंबर और फिर फरवरी से अप्रैल तक वादी में बारिश व हिमपात पहले से ज्यादा होने लगा है। इससे सेब के पेड़ टूटने, बागों में जलभराव से पेड़ सूखने से किसानों को नुकसान हो रहा है।

इस स्थिति से निपटने में अच्छी पैदावार देने वाले विदेशी सेब के पौधे विशेषकर इटली से मंगाए जा रहे हैं। यह पौधे दूसरे वर्ष में फल देना शुरू कर देते हैं। इनकी फसल को सितंबर के अंत तक तैयार हो जाती है। लालचौक से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित छत्तरगाम के सेब उत्पादक लाला रशीद ने कहा कि आप यकीन नहीं मानेंगे, लेकिन सच यह है कि वर्ष 2018 से अब तक चार सीजन में मैंने दो लाख भी बाग से नहीं कमाए हैं। मेरा बाग 18 कनाल में हैं। सिर्फ मैंने नहीं मेरे जैसे कई अन्य सेब उत्पादकों की भी यही हालत है। मैं बाग में उच्च घनत्व वाले विदेशी प्रजाति के सेब के पेड़ लगा रहा हूं।

40 प्रतिशत बागों को पहुंचा नुकसान

बागवानी विभाग के अनुसार वर्ष 2019 और 2020 में दक्षिण कश्मीर के शोपियां व पुलवामा में करीब 40 प्रतिशत बागों को हिमपात व बारिश ने नुकसान पहुंचाया है। बीते वर्ष अक्टूबर में हुए हिमपात में 30 प्रतिशत बाग नष्ट हुए हैं। लाला के पड़ोसी गुलजार अहमद ने भी कुछ यही सुनाया। बागवानी कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ माना जाता है। कुछ वर्षाें के दौरान मौसम में आ रहे बदलाव से कृषि विज्ञानी र्भी ंचतित हैं। उनके मुताबिक, अगर यही क्रम जारी रहा तो कश्मीर में सेब समाप्त हो सकता है। सेब कश्मीर की पहचान माना जाता है।

कश्मीर से हर साल 20 लाख मीट्रिक टन सेब बाहर निर्यात होता है। देश में सेब के कुल उत्पादन में जम्मू कश्मीर की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है। शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी डा. संदीप ने कहा कि इतालवी (इटली से) प्रजाति बेहतर है। उच्च घनत्व वाले सेब के बाग में पानी ज्यादा नहीं चाहिए, कीटनाशकों की खपत भी कम होगी। इन पेड़ों पर उगी फसल सितंबर के अंत तक तैयार हो जाती है। अक्टूबर तक फसल उत्पादक घर ला सकता है। इन पेड़ों पर आप कैनोपी भी लगा सकते हैं।

बाग लगाने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही सरकार

महानिदेशक बागवानी एजाज अहमद बट ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उच्च घनत्व वाले सेब के बाग लगाने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है। विदेशी प्रजाति के सेब के पेड़ कश्मीर के पारंपरिक सेब बागों से ज्यादा उत्पादन देते हैं। यह पेड़ लगाने के लगभग दो साल बाद ही फसल देना शुरू कर देते हैं। कश्मीर के पारंपरिक सेब के पेड़ को तैयार होने में आठ से 10 साल का समय लगता है। इन पौधों को एक-दूसरे ज्यादा दूर लगाने की जरूरत नहीं होती।

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