गत 29 फरवरी, 2024 को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को जमकर फटकार लगाई। दरअसल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अदालत में एक याचिका डाली हुई थी जो सिरसा के डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत सिंह को बार-बार पैरोल देने से संबंधित थी। याचिका में कहा गया था कि दुष्कर्म व हत्या का दोषी गुरमीत राम रहीम आजीवन कारावास की सजा काटने रोहतक की सुनारिया जेल में बन्द है। हरियाणा की सरकार उसे सुविधा देने के उद्देश्य से बार-बार पैरोल व फरलो पर रिहा कर देती है।
हरियाणा सरकार के वकील ने अदालत में दलील दी कि सरकार को अधिकार है कि वह कैदी को पैरोल प्रदान करे। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी ने कहा कि जेल में अन्य कैदी भी बन्द हैं, उन्हें पैरोल क्यों नहीं दिया जाता? कोर्ट ने सरकार के वकील को निर्देश दिया कि गुरमीत को पैरोल देने से पहले सरकार को अदालत से इजाज़त लेनी होगी।
गुरमीत से रामरहीम बने डेरा प्रमुख की कहानी सारी दुनिया जानती है फिर भी इसके लाखो मुरीद हैं। इन शिष्यों की विशाल संख्या नेताओं को आकर्षित करती है। पहले कांग्रेस सरकार गुरमीत के सामने दुम हिलाती थी, आज यही स्थिति खट्टर सरकार की है। डेरे की दो साध्वियों से बलात्कार करने, पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति की हत्या व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या के षड्यंत्र, दंगा कराने व जमीन कब्ज़ाने जैसे संगीन अपराधों का दोषी 28 अगस्त, 2017 से उम्रकैद की सजा काट रहा है। हरियाणा सरकार ने 4 वर्षों में उसे 9 बार पैरोल व फरलो (छुट्टी) दिया है। उसे अक्तूबर 2020, मई 2021, फरवरी 2022, जून 2022, अक्टूबर 2022, जनवरी 2023, जुलाई 2023, नवंबर 2023, जनवरी 2024 में पैरोल दिया गया। उम्रकैद की सजा भुगत रहे शख्स को पैरोल की सुविधा प्रदान करने में खट्टर सरकार ने विश्व रिकार्ड बना दिया। चूंकि हरियाणा में उसके सभी डेरे-तम्बू बन्द हैं, इसलिए वह बागपत जिले के बरनावा आश्रम जाकर मौज मनाता है। अमृतकाल का लाभ गुरमीत खूब उठा रहा है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’