सहित्यकार शेखर जोशी(90 वर्ष) का मंगलवार दोपहर को निधन हो गया। उन्होंने वैशाली सेक्टर-4 स्थित पारस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका शव अस्पताल से घर लाए जाने तैयारी की जा रही है।
उनके छोटे बेटे संजय जोशी ने बताया कि शेखर जोशी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वह आंतों में संक्रमण से ग्रसित थे। पिछले नौ दिन से आईसीयू में भर्ती थे। उन्होंने अस्पताल में दोपहर 3.20 बजे अंतिम सांस ली। उनके परिवार में बड़े बेटे प्रतुल जोशी, संजय जोशी व बेटी कृष्णा जोशी हैं।
कई भाषाओं में हुआ उनकी कहानियों का अनुवाद
शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार थे। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है।
नौकरी छोड़ बन गए “कोशी के घटवार”
शेखर जोशी का जन्म 10 सितम्बर 1932 को अल्मोड़ा जनपद के सोमेश्वर ओलिया गांव के एक निर्धन परिवार में हुआ था। शेखर जोशी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अजमेर और देहरादून से प्राप्त की थी। 12वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान ही उनका चयन ईएमई सुरक्षा विभाग में हो गया। वह 1986 तक विभाग में कार्यरत रहे। उन्होंने नौकरी से स्वैछिक रूप से त्याग पत्र दे दिया। फिर वह लेखन से जुड़ गए और काफी लेखन किया लेकिन उनको प्रसिद्धि कोशी के घटवार से मिली। उनकी एक और कहानी दाज्यू पर एक बाल फिल्म भी बनी है।