शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चुनाव आयोग की कार्रवाई पर नहीं लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट में आज शिवेसना मामले की सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि आयोग शिवसेना सिंबल मामले पर आगे की कार्रवाई शुरू करें. एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना सिंबल मामले में चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटा दी है. उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दाखिल आवेदन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ डिप्टी स्पीकर के अधिकार और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही के अधिकार के मसले पर आगे सुनवाई जारी रखेगा.

उद्धव ठाकरे की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं. सिब्बल ने कहा कि यह सब 20 जून को शुरू हुआ जब शिवसेना का एक विधायक एक सीट हार गया. विधायक दल की बैठक बुलाई गई. फिर उनमें से कुछ गुजरात और फिर गुवाहाटी चले गए. उन्हें उपस्थित होने के लिए बुलाया गया था और एक बार जब वे उपस्थित नहीं हुए तो उन्हें विधानसभा में पद से हटा दिया गया था.

नहीं काम आए सिब्बल के तर्क

सिब्बल ने कहा कि फिर उन्होंने कहा कि हम आपको पार्टी के नेता के रूप में नहीं पहचानते हैं और नया व्हिप अधिकारी नियुक्त किया गया. तब पता चला कि वे भाजपा के साथ अलग सरकार बनाना चाहते हैं. 29 जून को इस अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए कहा कि विधानसभा को उचित विचार करने के बाद आगे बढ़ना चाहिए. फिर कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत के समक्ष कार्यवाही के परिणाम के अधीन विश्वास मत होगा. इसका मतलब है कि सीएम का कार्यालय और विधानसभा की कार्यवाही इस अदालत के निर्णय के अधीन है. 19 जुलाई को अकेले एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयुक्त से संपर्क किया.

शिवसेना के नाम पर नहीं बना सकते सरकार- सिब्बल

सिब्बल ने कहा कि जो विधायक अलग हुए वो शिवसेना के थे. वो अलग होने पर अन्य पार्टी के साथ सरकार बना सकते थे लेकिन शिवसेना पर आधिपत्य के आधार पर सरकार नहीं बना सकते. सिब्बल ने कहा कि विधायक किसी अन्य पार्टी के साथ जाते हैं या अलग होते हैं तो वह पार्टी की सदस्यता खो देते हैं. वह खुद पार्टी पर कब्जा नहीं ले सकते. सिब्बल ने कहा कि पार्टी तोड़ने की स्थिति में वह विधानसभा में पार्टी के सदस्य के तौर पर कैसे आ सकते हैं.

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