मालदीव: भारत से तनाव के बीच मजबूत हुए मुइज्जू, पार्टी में शामिल हुए छह निर्दलीय

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने बुधवार को संसद में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली। दरअसल, रविवार को हुए चुनाव में जीत हासिल करने वाले छह निर्दलीय सदस्यों ने सत्तारूढ़ पार्टी का दामन थाम लिया। 

संसदीय चुनाव में पीएनसी ने संसद की 93 में से 66 सीट पर जीत दर्ज की थीं। जबकि उसके गठबंधन सहयोगियों मालदीव नेशनल पार्टी (एमएनपी) ने एक और मालदीव डेवलपमेंट अलायंस (एमडीए) ने दो सीट हासिल की थीं। छह  निर्दलीय सदस्यों राष्ट्रपति मुइज्जू की मौजदगी में एक समारोह में पीएनसी में शामिल हुए। मुइज्जू पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। 

इन निर्दलीय सदस्यों के जुड़ने से पीएनसी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास अब संसद में 78 सीट हो जाएंगी। जो कि पीपुल्स मजलिस में दो तिहाई (63 सीट) से कहीं अधिक है।पीएनसी के एक प्रवक्ता ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की कि छह निर्दलीय सदस्य मंगलवार को पीएनसी में शामिल हुए। नए सांसदों को 28 मई को शपथ दिलाई जाएगी।

यह निर्दलीय सदस्य ऐसे समय में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुए हैं, जब इस महीने की शुरुआत में दलबदल विरोधी विधेयक पारित किया गया है। राष्ट्रपति मुइज्जू ने पिछले हफ्ते इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे इसने कानून का रूप ले लिया। 

संसद में बहुमत का मतलब है कि मुइज्जू की पार्टी का न केवल कानून बनाने पर नियंत्रण होगा बल्कि विधायिका भी उसके नियंत्रण में होगी, जो कानूनों की पुष्टि करती है। विधायिका में अब तक दो विरोधी गठबंधन थे और सरकार व विधायिका के बीच संघर्ष के कई मौके सामने आ चुके हैं। संसदीय चुनावों में पीएनसी की भारी जीत को भारत की विदेश नीति के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है। भारत और चीन दोनों हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस द्वीप समूह में चुनावों के परिणाम को करीब से देख रहे थे।

मुइज्जू ने मालदीव में इंडिया आउट अभियान शुरू किया था और इसी के बहाने वह पिछले साल सत्ता में आए थे। नवंबर में पदभार संभालने के बाद उन्होंने चीन का दौरा किया था और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में बीजिंग के साथ माले के संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया। संसदीय चुनावों से पहले भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के नेतृत्व वाली मुख्य विपक्षी पार्टी एमडीपी ने नई दिल्ली के साथ संबंध बहाल करने की पैरवी की थी। लेकिन एमडीपी को केवल 15 सीट मिलीं।

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