मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। उन पर 2017 विधानसभा चुनाव में बिना अनुमति ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकालने का आरोप में मजिस्ट्रेट ने मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई। अभियोजन अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि कौशल विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल निवासी गांधीनगर को विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
विधान सभा चुनाव 2017 में मौजूदा राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। मजिस्ट्रेट ने उनके विरुद्ध वाद दायर कराते हुए आरोप लगाया था कि 16 जनवरी 2017 को करीब 8:45 बजे मोहर वाली गली बीजेपी जिला कार्यालय से 20-25 समर्थकों के साथ ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला गया था। आरोप था कि धारा-144 लागू होने के बावजूद बिना अनुमति जुलूस निकालकर शिव मूर्ति तक ले जाया गया था। इस मामले में पुलिस ने आदर्श आचार संहिता एवं निषेधाज्ञा उल्लंघन सहित 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
साक्ष्य के अभाव में बरी
अभियोजन अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल ने की। उन्होंने दोनों पक्ष की सुनवाई के बाद साक्ष्य के अभाव में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल को बरी कर दिया।