दारुल उलूम के पाठ्यक्रम दिशानिर्देशों पर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो का कहना है कि सहारनपुर में देवबंद नामक स्थान पर, दारुल उलूम मदरसा है। यह दक्षिण एशिया में मदरसा शिक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है। उसने फतवे के जरिये गजवा-ए-हिंद का महिमामंडन किया।
हमने यूपी सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोटिस दिया। यूपी सरकार ने कहा कि यह फतवा 2008 में जारी किया गया था। फतवे में कहा गया कि जो भी गजवा-ए-हिंद के दौरान मारा जाएगा वह शहीद माना जाएगा। यह फतवा 26/11 हमले के ठीक बाद 1 दिसंबर 2008 को जारी किया गया था। इस सिलसिले में हमने कलेक्टर और एसपी सहारनपुर को दिल्ली बुलाया है और एक रिपोर्ट और स्पष्टीकरण मांगा है।
दारुल उलूम विश्व स्तर पर एक विशाल शैक्षिक क्षेत्र का प्रबंधन करता है। दारुल उलूम से जुड़े मौलानाओं को जमीयत उलेमा-ए-हिंद यूके से करोड़ों की फंडिंग मिलती है। यह संगठन पाकिस्तान को भी फंड देता है। क्या वे बच्चों की नजर में अजमल कसाब को शहीद के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं ? इसका जवाब उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को दिल्ली आकर देना होगा।