इन दिनों बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ और नारी सशक्तिकरण की बहुत चर्चा है। अभी 19 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल आनन्दी बेन मेरठ पधारी जहां उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित नारी सशक्तिकरण सम्मेलन को संबोधित किया। यह सन्तोषजनक स्थिति है कि सत्तादल एवं अन्य राजनीतिक पार्टियां भी आधी आबादी के उत्थान व कल्याण की बातें करने लगी हैं किन्तु नारी सुरक्षा और नारी कल्याण की ओर समाज तथा प्रशासनिक तंत्र पर इस विचारधारा का कोई अधिक सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। देश के किसी न किसी कोने से नारी उत्पीड़न और पुलिस की शिथिलता अथवा उसके नाकारापन का समाचार सामने आ जाता है।
नारी उत्पीड़न रोकने में पुलिस की लापरवाही जग जाहिर है। हर मामले में पैसे वसूलने की परम्परा ब्रिटिश काल से अब तक चली आ रही है इस कारण पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। ऐसा ही एक दुखदाई व शर्मनाक समाचार मुरादाबाद जिले से मिला है। कुन्दरकी थाना क्षेत्र के एक ग्राम में होली वाले दिन 17 वर्षीया स्कूली छात्रा से छेड़छाड़ व दुर्व्यहार किया गया जिसकी लिखित शिकायत पुलिस से की गई। पुलिस छात्रा के परिवार को टरकाती रही। विकेश नामक शोहदे को पुलिस ने थोड़े समय के लिए शान्ति भंग करने की धारा में हिरासत में लिया और बिना मुकदमा दर्ज किये उसे छोड़ दिया। विकेश ने फिर छात्रा और उसके परिजनों पर फब्तियां कसीं। पुलिस के रवैये से आहत होकर लड़की ने जान देने का खौफनाक फैसला किया। खुद को आग लगाने से पहले छात्रा ने सुसाइड नोट लिखा जिसमें उसने लिखा कि वह जीते जी अपराधी को दंड नहीं दिला सकी। मेरे मरने के बाद अपराधी को सजा ज़रूर दी जाए। 19 मार्च को छात्रा ने कमरे में बन्द होकर खुद को आग लगा ली। 20 मार्च को अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई।
इसके बाद वही हुआ जो अक्सर सरकार और पुलिस करती है। कप्तान साहब बहादुर ने छेड़छाड़ करने वाले युवक को गिरफ्तार करा दिया और दरोगा सचिन मलिक को निलंबित कर दिया। कुछ समय बाद विकेश को जमानत मिल जायगी और दरोगाजी निश्चित रूप से बहाल हो जायेंगे।
पुलिस की यह कार्य प्रणाली सदा से चलती आ रही है। योगी सरकार में भी किंचित मात्र पुलिसिया दृष्टिकोण नहीं बदला।
मुरादाबाद जैसी अनेक जघन्य घटनायें योगीराज में भी हुई है। जिन पुलिसकर्मियों की कार्य प्रणाली के कारण पीड़िता आत्मघात करती हैं उन पर हत्या या आत्महत्या को उकसाने की धाराओं में मुकदमा चलना चाहिये और फौरन गिरफ्तारी होनी चाहिए। निलंबन का ड्रामा और बहाली के नाटक से काम चलने वाला नहीं है। बुलडोजर चलाकर माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का सराहनीय काम करने वाले मुख्यमंत्री जी को उस पुलिस को भी सुधारने का काम करना चाहिये जो उनकी छवि को धूमिल करने में लगी है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’