पशुपालकों के लिए खुशखबरी: मुजफ्फरनगर लाई गई जालौन भेड़

भेड़ विकास योजना के लिए मुजफ्फरनगर जिले में पांच यूनिट की स्थापना कर दी गई है। इस बार यहां स्थानीय के बजाए जालौनी भेड़ को रखा जाएगा। जिले में 105 भेड़ की आपूर्ति पशुपालन विभाग की ओर से कराई गई है। नस्ल सुधार और पशुपालकों के लिए काम को उपयोगी बनाने की दिशा में यह बदलाव किया गया है।विज्ञापन

भेड़ विकास योजना में आम तौर पर पशुपालक स्थानीय नस्ल की भेड़ को ही तरजीह देते रहे हैं। लेकिन शासन ने इस बार बदलाव के लिए गाइड लाइन जारी की। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि अन्य जिलों की संस्थाओं से भेड़ की आपूर्ति के निर्देश दिए गए थे।

बुढ़ाना क्षेत्र के राजपुर छाजपुर गांव में तीन और सरनावली गांव में दो मिलाकर कुल पांच सेंटर खोले गए गए हैं। इन केंद्रों पर जालौन की प्रसिद्ध जालौनी भेड़ की नस्ल को मंगाया गया है। एक सेंटर पर 20 मादा और एक नर भेड़ रखने का प्रावधान है।

बांदा से की गई है भेड़ की आपूर्ति
जालौनी नस्ल की भेड़ की आपूर्ति बुंदेलखंड नेचुरलस नामक संस्था ने बुंदेलखंड के बांदा से की है। यहां की नस्ल अधिक गर्मी के मौसम में रहने, अधिक ऊन के लिए अपनी पहचान रखती है।

पालक को विभाग देता है सब्सिड़ी
बुधवार को राजपुर छाजपुर और सरनावली पहुंची पशुपालन विभाग की टीम ने केंद्रों का निरीक्षण किया। जालौनी नस्ल की जानकारी भेड़ पालकों को दी। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि सरकार की ओर से एक सेंटर पर एक लाख 70 हजार रुपये दिए जाते हैं, जिनमें से पशुपालक को केवल 17 हजार रुपये ही देने होते हैं।

एक थी मुजफ्फरनगरी भेड़
गुड़ और गन्ने के उत्पादन से खास पहचान रखने वाले जिले की भेड़ का भी विशेष स्थान था। नस्ल को मुजफ्फरनगरी भेड़ नाम दिया गया था। ऊन उत्पादन के शौकीनों की यह खास पसंद थी।

पिछले वर्ष आयोजित पशु मेले में भी इस भेड़ का प्रदर्शन किया गया था। लेकिन इस बार किसी भी जिले को यहां की भेड़ नस्ल सुधार के लिए नहीं भेजी गई है। सीवीओ का कहना है कि जिले में बिक्री करने वाली कोई संस्था पंजीकृत नहीं है, जबकि शासन के निर्देश थे कि पंजीकृत संस्था से ही भेड़ का आदान प्रदान किया जाना है।

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