गरीब नवाज़ डॉक्टर थे खान साहब!

बड़ी दु:खद ख़बर है। मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.यू.खान का मंगलवार तेरह जुलाई को उनके पैतृक ग्राम (जो अब छोटा सा कस्बा बन चुका है) गढ़ीपुख़्ता में ब्रेन हेमरेज से इंतकाल हो गया। 80 वर्षीय डॉक्टर खान कई बरसों से प्रेक्टिस छोड़ चुके थे लेकिन उनका नाम ज़िलेभर में आदर व सम्मान से लिया जाता है। इसकी वजह यह नहीं कि वे एक राजसी परिवार से संबंधित थे बल्कि अपने हुनर के माहिर और गरीब नवाज़ तबियत की वजह से डॉक्टर ख़ान की लोगों में शोहरत थी। जब मुजफ्फरनगर के नामवर डॉक्टर्स दो-ढाई सौ रुपये फ़ीस लेते थे तब डॉ. एस.यू. खान महज़ नामचारे की दस रूपये फीस लेते थे और बेहद वाज़िब तथा मुनासिब खर्च पर इलाज करते थे। यही कारण था कि सरवट गेट स्थित उनके क्लिनिक पर सदा मरीजों की भीड़ लगी रहती थी।

डॉ. एस.यू. खान पूर्व राज्यमंत्री अमीर आलम साहब के संबंधी थे। हमारे पिताजी स्व. राजरूप सिंह वर्मा से उनके दोस्ताना ताल्लुकात थे। वे खुशमिजाज व नफ़ासत पसंद शख्स थे। जब उन्होंने स्व. मालती शर्मा (पूर्व सांसद) का मकान खरीदा तो नये मकान की बड़े करीने से तामीर कराई थी। अपने ड्राइंगरूम का फर्श ख़ूबसूरत कालीन के मानिन्द डलवाया था। वे सादगी पसंद इंसान थे और अपने आवास से क्लीनिक तक पैदल ही जाया-आया करते थे।

डॉक्टर साहब ने अपना हुनर भी अपने कम्पाउंडरों को बांटा जो आज भी जनता की सेवा कर रहे हैं। डॉ. खान के निधन से मुजफ्फरनगर, शामली जिले में एक नेक इंसान व कुशल चिकित्सक हमारे बीच से चला गया। उनको विनम्र श्रद्धांजलि।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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