पीएचडी, एलएलबी व पांच एमए करने वाले डॉ. संदीप सिंह को मौजूद सिस्टम ने इतना तोड़ दिया कि वह आज गलियों पर साइकिल ठेले पर सब्जी बेचने के लिए मजबूर हैं। परिवार के भरण पोषण के लिए उन्हें इतनी शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद गलियों में सब्जी बेचनी पड़ रही है।
नौकरी के लिए सिफारिश व पक्का होने के लिए राजनीतिक पहुंच न होने के चलते संदीप सिंह को पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में एडहॉक की नौकरी छोड़ कर गलियों में सब्जी बेचनी पड़ रही है। पहले वह ऐसी ही सब्जी बेचा करते थे। एक बार उन्होंने अपनी शिक्षा के बारे में एक महिला को बताया तो उसने संदीप को प्रोत्साहित किया कि वह अपनी शिक्षा संबंधी जानकारी सब्जी वाले ठेले पर लगाए ताकि समाज को उनकी योग्यता और सरकारों की अनदेखी की जानकारी मिल सके।
इसके बाद संदीप ने अपने ठेले पर पीएचडी सब्जी वाला का बोर्ड लगा दिया। जिस को लोग काफी गंभीरता से देख रहे हैं। संदीप की सब्जी बेचने वाली वीडियो को उसके छात्र भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। संदीप का कर्म क्षेत्र तरनतारन व अमृतसर है।
11 साल बतौर एडहॉक प्राध्यापक पढ़ाया
मूल रूप में भराड़ीवाल इलाके के रहने वाले संदीप ने करीब 11 वर्ष तक पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में एडहॉक प्राध्यापक के रूप में पढ़ाया है। नौकरी के दौरान इतने पैसे नहीं मिलते थे कि जिस से वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। इसलिए उसे सब्जी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गुरु साहिब का संदेश मानते हैं संदीप
संदीप का कहना है कि इतना पढ़ लिख कर भी सब्जी बेचना उसे बुरा नहीं लगता क्योंकि वे गुरु साहिब का कीरत करो संदेश याद रखते हैं। संदीप ने बताया कि उसे लेक्चरर के रूप में 35 हजार रुपये पगार मिलती थी लेकिन वह भी सारा वर्ष नहीं मिलती थी क्योंकि वह रेगुलर नहीं थे। जब भी वह रेगुलर होने के लिए प्रार्थना पत्र भेजते तो सिफारिश और राजनीतिक पहुंच न होने के कारण उन्हें निराश होना पड़ता।
2004 में की थी ग्रेजुएशन
संदीप ने वर्ष 2004 में ग्रेजुएशन की। इस के बाद एलएलबी की। 2009 में आईआईएम की, 2011 में एमए पंजाबी की । इसके बाद पंजाब विश्वविद्वालय पटियाला से पीएचडी 2017 में पूरी की। उसने 2018 में एमए पत्रकारिता, एमए वुमन स्टडीज, एमए पोल साइंस की और अब वह बी लिब कर रहा है। संदीप कहता है कि उसने जुलाई से सब्जी बेचने का काम शुरू किया है। जल्दी ही वह युवाओं को शिक्षित करने के लिए अपना कोचिंग सेंटर य अकेडमी शुरू करेगा। इसके लिए वह पैसे भी जुटा रहा है।