राजस्थान की राजसमंद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुदर्शन सिंह रावत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा को पत्र लिखकर किसी और को टिकट देने की बात भी कही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को नामांकन भरने का आखिरी दिन था। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी का राजसमंद से चुनाव लड़ने की मना कर देने के मामले ने पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है।
सुदर्शन सिंह रावत ने लिखा कि मुझे 2018 में कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी के तौर पर भीम देवगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ने का अवसर दिया और भीम देवगढ़ की जनता ने 15 साल के कुशासन से त्रस्त होकर मुझे सुशासन और विकास की आशा के साथ राजस्थान की विधानसभा में भेजा। 2018-2023 तक का कार्यकाल भीम देवगढ़ के विकास के मायने में ऐतिहासिक रहा। हमने रात दिन एक करके कोरोना काल से लोहा लेने के बाद आजाद भारत के 70 वर्षों के इतिहास में जो कार्य नहीं हुए उन्हें क्रियान्वित किया।
उन्होंने कहा कि हमने दो नवीन उप तहसील, उप जिला चिकित्सालय, भीम में नगर पालिका, स्कूलों का क्रमोनयन, स्डेडियम, कॉलेजों में साइंस एवं पीजी, भीम में महिला महाविद्यालय, दो ITI पुलिस थाना, गांव-गांव में डामरीकरण सड़कें एवं पेयजल पाइप लाइनें, पदयात्रा कर बंद पड़े हाइवे का पुनः निर्माण और सबसे महत्वाकांशी चंबल पेयजल योजना को धरातल पर लाकर जनता की प्यास बुझाने के सपने को साकार किया।
इन सबके बाद गत विधानसभा चुनावों से पूर्व मेवाड़ के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाले घटनाक्रमों के कारण परिणाम अनुकूल नहीं रहे। हमें पराजय का सामना करना पड़ा। हमने जनता के जनादेश को स्वीकार किया। तत्पश्चात विगत एक माह में लोकसभा चुनाव की रायशुमारी व चर्चा के दौरान मैंने कई बार प्रदेश के सभी शीर्ष नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ने में असमथर्ता जताई, क्योंकि यह मेरी व्यक्तिगत राय थी कि ऐतिहासिक विकास कार्यों के बावजूद गत विधानसभा चुनाव की पराजय के मात्र चार माह बाद मुझे यह नैतिक अधिकार नहीं और तर्कसंगत भी नहीं कि मैं लोकसभा चुनाव लड़ूं। न मेरी इसको लेकर कोई रणनीतिक तैयारी थी और मेरे विदेश में व्यापार के सिलसिले में अगले दो माह तक विदेश दौरे रहने का कार्यक्रम था। अतः किसी युवा एवं इच्छुक व्यक्ति को मौका देकर उम्मीदवार बनाया जाए।
रावत ने लिखा, लेकिन मेवाड़ के एक शीर्ष नेता द्वारा पार्टी नेतृत्व को अंधेरे में रखकर मेरे अगले दो माह विदेश दौरे पर होने और बार-बार असहमति जताने के बावजूद मेरा नाम प्रस्तावित किया गया जो कि उचित नहीं है।
25 मार्च की शाम को मुझे सोशल मीडिया के द्वारा मेरे उम्मीदवार घोषित होने की खबर मिली जो कि मेरे लिए आश्चर्य का विषय था। मेरी पुनः कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अनुरोध है कि मेरी जगह किसी योग्य और इच्छुक उम्मीदवार को मौका दिया जाए। मेरे इस कदम से मेरे समर्थकों, शुभचिंतकों और पार्टी नेतृत्व की भावना को ठेस पहुंची हुई होगी, इसके लिए मैं सभी का क्षमा प्रार्थी हूं।