राजस्थान: दादा डॉक्टर बनाना चाहते थे बन गयी लेफ्टिनेंट

अगर मन में दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है। ऐसी ही एक सीख देने वाली कहानी राजस्थान के झुंझुनूं जिले से सामने आई है। जिले के नावता गांव की 18 वर्ष की ईशु यादव का चयन मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ है। इस पद को प्राप्त करने वाली ईशु अपने गांव की पहली लड़की है। उन्हें परीक्षा में 17वीं रैंक प्राप्त हुई है। जल्द ही वह लखनई में अपना प्रशिक्षण शुरू करने वाली हैं।

दादा चाहते थे डॉक्टर बने पोती

राजस्थान के शेखावटी सेना में जाने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिलता है। ईशु के गांव से कई लोग सेना में हैं। दादा चाहते थे कि उनकी पोतियां डॉक्टर बनें। इस कारण ईशु ने 12वीं में बायोलॉजी से पढ़ाई की। हालांकि, ईशु को बचपन से ही शहीदों के किस्से सुनने का काफी शौक था। गांव में शहीदों की प्रतिमाएं देख कर उनके मन में भी सेना में जाने की इच्छा जागी और परिवार के सामने इसकी इच्छा व्यक्त की।

आसान नहीं रहा सफर

लेफ्टिनेंट के पद तक पहुंचने का सफर ईशु यादव के लिए आसान नहीं रहा। ईशु पहले नीट की तैयारी में जुटीं थी। उन्हें इस परीक्षा में असफलता हाथ लगी। इस सफलता से हिम्मत न हारते हुए उन्होंने भारतीय सेना की ओर अपना ध्यान लगाया और इसकी लिखित परीक्षा पास कर ली। हालांकि मुश्किलों ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। शारीरिक परीक्षा में उनका वजन 27 किलो अधिक था। उन्हें ओवर वेट का प्वाइंट रेफर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत से इस परीक्षा में सफलता प्राप्त की। 

इस तरह से कम किया वजन

ईशु का वजन 79 किलोग्राम था और उन्हें करीब 27 किलो वजन कम करना था। परिवार वालों को भी इस बात की चिंता थी कि इतने कम समय में वजन कैसे कम हो पाएगा। हालांकि, ईशु ने हिम्मत न हारते हुए अपनी कोशिश को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने खान-पान पर ध्यान दिया और गांव में सिद्ध बाबा मंदिर की सीढ़ियां चढ़ना और उतरना शुरू किया। इस मंदिर में 880 सीढ़ियां थी। इसके अलावा वह रोजाना 10 किलोमीटर दौड़ती भी थी। इस दौरान ईशु को रिव्यू चांस के लिए 40 दिनों का और समय मिला। अपनी कड़ी मेहनत के दम पर ईशु ने केवल 80 दिनों में ही 27 किलो वजन कम कर लिया। ईशु के सेना में चयन की खुशी में पूरे गांव में उनका विजयी जूलूस निकाला गया। 

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