राज्य में ‘डायल 108’ सेवा के तहत चल रहीं 329 एडवांस और बेसिक एंबुलेंसों में चाइनीज मशीनें-उपकरण लगाकर कंपनियां गायब हो गईं। स्वास्थ्य अधिकारी इन कंपनियों से उपकरण तो नहीं बदलवा पाए, पर एक बार फिर गड़बड़ी का प्लॉट लिखा जा रहा है।
अब 70 करोड़ रु. में 206 बेसिक-एडवांस और नियोनेटल एंबुलेंस ऐसी कंपनी से खरीदने की तैयारी है, जिसके पास पर्याप्त ओईएम (ऑरिजिनल इक्विपमेंट मेन्युफेक्चरर) अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर झारखंड में नहीं है। जबकि टेंडर की शर्तों के अनुसार वही कंपनी एंबुलेंस की सप्लाई कर सकती है, जिसकी कम से कम झारखंड के 15 जिलों में ऐसे सर्विस सेंटर होंं।
इंदौर की ऐसी ही कंपनी सनातन बस बॉडी बिल्डर्स लिमिटेड को स्वास्थ्य विभाग ने अभी फाइलों में एल-1 बताया है। एल-1 (लोएस्ट रेट) के आधार पर 206 एंबुलेंस की सप्लाई का वर्क ऑर्डर देने की तैयारी है। इस पर टाटा मोटर्स ने आपत्ति जताई है और एनएमएच के मिशन डायरेक्टर को पत्र लिखकर वर्क ऑर्डर रोकने और पुनर्विचार करने को कहा है।
झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन ने सितंबर- 2021 में टेंडर निकाला था। पांच कंपनियों- एजीआईएल फेब्रिटेक, टाटा मोटर्स, एसएमएल इसुजु लि., सनातन बस बॉडी बिल्डर्स लि., फोर्स मोटर्स लि. ने टेंडर भरा।
इनमें कई ने टेक्निकल बिड क्वालीफाई नहीं किया, यानी बगैर तकनीकी योग्यता वालों को भी चुन लिया गया। फिर अफसरों ने कंपनियों में सहमति बनाने का खेल खेला। अंतत: सहमति बना सभी को वर्क ऑर्डर देने का प्रस्ताव बढ़ा दिया। अब जेएमएचआईडीपीसी के एमडी कह रहे हैं कि पांचों कंपनियों को वर्क ऑर्डर देने का प्रस्ताव सही नहीं है। जो एल-वन है, उसी को दिया जाएगा।