यूपी निकाय चुनाव में सांसदों-विधायकों के परिजनों को नहीं मिलेगा टिकट: बीजेपी

भाजपा की प्रदेश सरकार और संगठन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि नगरीय निकाय चुनाव में सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक अपने परिजनों के टिकट के लिए दबाव न बनाएं। पार्टी सैद्धांतिक रूप से किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजन को प्रत्याशी नहीं बनाएगी। जहां कहीं चुनाव जीतने के लिए परिजन को प्रत्याशी बनाना अपरिहार्य होगा, उसके बारे में निर्णय प्रदेश कोर कमेटी करेगी।

मुख्यमंत्री आवास पर सोमवार शाम सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सरकार के मंत्रियों को चुनाव का रोडमैप सौंपा गया। मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने एक मंच और एक स्वर में मंत्रियों को सभी 17 नगर निगम और जिला मुख्यालयों सहित बड़ी नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में परचम लहराने की जिम्मेदारी सौंपी। 

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे निकाय चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में पार्टी की जीत महत्वपूर्ण है। ये चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि जिन नेताओं को सरकार या संगठन में समायोजन का मौका नहीं मिला, उन्हें प्रत्याशी चयन में तरजीह मिलेगी, बशर्ते वे जीतने की स्थिति में हों। चौधरी ने कहा कि नगर निगमों व बड़ी नगर पालिका परिषदों में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सभा, रोड शो किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जहां कहीं सामाजिक समीकरण के लिहाज से किसी विशेष नेता के कार्यक्रम की आवश्यकता हो, उसकी सूचना प्रदेश मुख्यालय को दें।

आचार संहिता के पालन पर जोर

योगी ने कहा कि आचार संहिता के पालन का विशेष ध्यान रखें। आचार संहिता के दौरान ही सामाजिक न्याय सप्ताह और डॉ. आंबेडकर जयंती के भी कार्यक्रम होने हैं। इनमें आचार संहिता का पूरी तरह से पालन किया जाए।

…ताकि बगावत न हो
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव प्रभारी जिलों में जाकर प्रत्याशी चयन से पहले और बाद में सहमति बनाने का प्रयास करें, ताकि पार्टी के कार्यकर्ता बगावत नहीं करें। चुनाव में जहां तक हो बगावत नहीं होनी चाहिए।

अल्पसंख्यकों को भी टिकट देगी पार्टी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बैठक में कहा कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अध्यक्ष और सभासद के लिए पार्टी चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि उन सीटों पर अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम बहुल सीटों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।

पहले चरण के प्रत्याशी की घोषणा 15 अप्रैल तक
महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कहा कि सभी मंत्रियों और चुनाव प्रभारी 12 अप्रैल तक उनसे संबंधित जिले में जाकर महापौर, नगर पालिका एवं नगर पंचायत अध्यक्ष, पार्षद व सभासद के प्रत्याशी चयन के लिए पैनल तैयार कराएं। उन्होंने कहा कि नगर पंचायत के अध्यक्ष, सभासद, नगर पालिका के सभासद के प्रत्याशी का चयन जिला कोर कमेटी की संस्तुति से क्षेत्र मुख्यालय से होगा। नगर पालिका के अध्यक्ष, नगर निगम के पार्षद और महापौर प्रत्याशी का चयन क्षेत्र की कोर कमेटी की संस्तुति पर प्रदेश मुख्यालय से होगा। उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल तक क्षेत्र और प्रदेश को संबंधित पैनल मिल जाए ताकि 14-15 अप्रैल तक पहले चरण के प्रत्याशी की घोषणा की जा सके।

मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री संभालेंगे अपने 25-25 जिले
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के बीच 25-25 जिलों की जिम्मेदारी है। निकाय चुनाव में भी तीनों के पास मुख्य रूप से अपने प्रभार वाले 25-25 जिलों की मुख्य जिम्मेदारी रहेगी। हालांकि उनके चुनावी दौरे पूरे प्रदेश भर में लगाए जाएंगे।

स्वार में भाजपा और छानबे में अपना दल लड़ेगी उप चुनाव
स्वार और छानबे विधानसभा उप चुनाव में भाजपा और अपना दल में सैद्धांतिक सहमति बन गई है। स्वार सीट पर भाजपा और छानबे सीट पर अपना दल (एस) के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे। हालांकि विधानसभा चुनाव में स्वार और छानबे दोनों सीटें गठबंधन में अपना दल को मिली थी। लेकिन स्वार सीट पर उप चुनाव में परचम फहराकर भाजपा सपा नेता आजम खान के रामपुर गढ़ को ध्वस्त करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक तय हुआ है कि अपना दल से योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल छानबे सीट पर उप चुनाव की कमान संभालेंगे। वहीं रामपुर सीट पर उप चुनाव की कमान वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के पास रहेगी। आशीष पटेल को निकाय चुनाव में मिली लखीमपुर खीरी और सुल्तानपुर जिले की जिम्मेदारी अब उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को दी गई है।

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