5 मार्च, 2024 को बरेली के अपर न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) रवि कुमार दिवाकर ने बरेली में सन् 2010 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के मुकदमे के संबंध में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि बरेली कोतवाली के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र एवं अनेक प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयानों के बाद यह प्रमाणित हो गया था कि दंगा इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा ने भड़काया था। उस समय की सरकार तौकीर रज़ा को बचाना चाहती थी। सरकार के दबाव में तत्कालीन आईजी पुलिस, डीआईजी, बरेली के कमिश्नर, जिला मजिस्ट्रेट, एसएसपी, सभी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने दंगे के सूत्रधार तौकीर रज़ा के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही नहीं की। उसके विरुद्ध चार्जशीट तक दाखिल नहीं हुई।
तौकीर रज़ा कई दशकों से मुस्लिम समाज को भड़काने, सड़कों पर उतर कर दंगा, हिंसा-आगजनी व लूट मार करने का आह्वान करता रहता है। मीडिया में उसके भड़काऊ बयान निरन्तर आते रहते हैं। मुसलमानों पर अत्याचारों की झूठी कहानियां गढ़ कर उन्हें हिंसा के लिए तैयार करने की कोशिश करता है।
16 फरवरी, 2024 को तौकीर रज़ा ने मुसलमानों को भड़काते हुए कहा- यह आर्डर भी आने वाला है कि तुम्हें अपने मदरसों में रामायण पढ़ानी पड़ेगी। अगर तुम लोग अभी नहीं निकले तो बहुत खराब हालात होने वाले हैं। इसलिए तुमको निकला पड़ेगा। नहीं निकले तो मर जाओगे।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अवैध मदरसा बनाने के बाद जो हिंसा भड़की उसके बाद मुसलमानों को भड़काकर तौकीर ने बरेली में हिंसा भड़का दी जिस में कई लोग घायल हुए और वाहन तथा दुकानें फूंकी गई।
2010 के दंगे के वाद में एडीशन जज ने पहले जमानती और फिर गैर जमानती वारंट जारी किया। पुलिस तौकीर को गिरफ्तार करने में नाकाम है। कोर्ट ने गिरफ्तारी के लिए दिल्ली भेजे गये सीओ प्रथम सन्दीप कुमार सिंह को फटकारते हुए कहा कि आप आदमी को फौरन गिरफ्त में ले लेते हैं, तौकीर जैसा वीआईपी आपके हाथ नहीं आता। सिस्टम वाकई रसूखदारों के आगे दुम हिलाता है। कोर्ट ने एसएसपी को आदेश दिया है कि वे तौकीर को अदालत में पेश करें। देखना है वह कानून के हाथों से कहां तक बच कर भागेगा।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’