सीनियर वकील मुकुल रोहतगी का अटॉर्नी जनरल बनने से इनकार, केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया

देश के जाने-माने और सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने भारत के लिए अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त होने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उन्होंने प्रस्ताव को ठुकराने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं बताया है। भारत के वर्तमान अटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल हैं। औपचारिक रूप से 30 जून 2017 से अपना पद ग्रहण किया था और उनका कार्यकाल 3 साल का था। बीच में उनके कार्यकाल को फिर से आगे बढ़ा दिया गया था, लेकिन अब वो इसे छोड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा भारत सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है, फिर से प्रस्ताव पर विचार किया और उसे अस्वीकार कर दिया है। मुकुल रोहतगी इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) सरकार में 2014 से 2017 के बीच एजी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

2017 में वेणुगोपाल को सौंपी गई जिम्मेदारी

रोहतगी के बाद 15 जुलाई 2017 को वेणुगोपाल को ही एजी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साथ ही उन्हें कार्यकाल में तीन बार विस्तार भी दिया गया। हालिया सुनवाई के दौरान उन्होंने संकेत दिए थे कि वह मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद एजी के तौर पर अपना सफर जारी नहीं रखेंगे। साल 2020 में तीन साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उन्होंने पद छोड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें एजी बने रहने का अनुरोध किया था।

कौन होता है अटॉर्नी जनरल?

भारत सरकार में अटॉर्नी जनरल का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। अटॉर्नी जनरल ही भारत सरकार का मुख्य कानून सलाहकार की भूमिका निभाता है और सभी कानूनी मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह भी देता है। अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति भारत सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

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